पत्रकार राठी को नोटिस भेजे जाने की पीसीआई ने की भर्त्सना
देहरादून।
प्रदेश की आईटी पार्क की जमीन को एक प्राइवेट बिल्डर को 90 साल की लीज पर दिए जाने के मामले का खुलासा करने वाले पत्रकार को लीगल नोटिस दिए जाने और उनके घर पर पुलिसकर्मियों के धमकाने के लिए पहुँचने के मामले में देश भर के पत्रकारों में उबाल आ गया है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने भी इसकी भर्त्सना की है। गौरतलब है कि उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार अजीत राठी ने हाल ही में बहुमूल्य सरकारी जमीन को गुपचुप तरीक़े से एक प्राइवेट विल्डर को दिए जाने के मामले का खुलासा किया था। इस मामले का खुलासा होते ही सरकार की किरकिरी हो गई थी। सिडकुल के कुछ अफसरों ने वरिष्ठ पत्रकार को धमकाने की कोशिश की थी। पुलिस को उनके घर भेज कर परिजनों को भी धमकाने की कोशिश की थी। कानूनी नोटिस भेजे जाने की खबर ने मीडिया जगत में हलचल मचा दी है।
पत्रकार राठी का कहना है कि सवाल उठाना या सरकार से जवाब मांगना लोकतंत्र में प्रेस की जिम्मेदारी है, अपराध नहीं। उन्होंने कहा कि अगर सवाल पूछना ही अपराध माना जाने लगे, तो यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग उनके समर्थन में उतर आए हैं। उनका कहना है कि सरकार को आलोचना और सवालों का स्वागत करना चाहिए, न कि पत्रकारों को डराने-धमकाने की कोशिश करनी चाहिए।
इस मामले पर अब तक सरकार या सिडकुल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। भारत के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस प्रकरण पर गंभीर चिंता ब्यक्त की है। स्टेट प्रेस क्लब देहरादून, गढ़वाल प्रेस क्लब ने भी पत्रकारों पर इस तरह की कृत्यों की निदा की है।





