सतपुली: आखिर नयार की हृदयस्थली में जलाशय निर्माण शुरू, पर्यटन को लगेंगे पंख

अजय रावत अजेय
बालकुंवारी यानी नयार नदी की हृदयस्थली के रूप में पहचाने जाने वाले सतपुली कस्बे में नदी पर जलाशय निर्माण का कार्य आखिर शुरू हो ही गया है। नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से निर्मित हो रहे इस जलाशय की मांग डेढ़ दशक से की जा रही थी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शामिल इस जलाशय के निर्माण में 55 करोड़ से अधिक की धनराशि व्यय होगी।
हालांकि सतपुली कस्बा गढ़वाल के चर्चित स्थानों में से एक रहा है किंतु यहां पर्यटन जैसी गतिविधियों से संबंधित विकास कार्यों के न होने से यहां पर्यटकों की आवाजाही शून्य ही रहती है। मात्र 30 किलोमीटर दूर लैंसडाउन जैसा लोकप्रिय हिल स्टेशन होने के बावजूद पर्यटक नयार घाटी की तरफ रुख नहीं करते। इसी को देखते हुए क्षेत्र की जनता लम्बे समय से सतपुली में झील बनाने की मांग करती आ रही थी। यहां तक कि पूर्व मंत्री व लैंसडौन के तत्कालीन विधायक डॉ हरक सिंह रावत ने भी सतपुली में जलाशय निर्माण की मांग की थी। वहीं मौजूदा पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी अपने सांसद कार्यकाल में सतपुली में झील निर्माण की मांग जोर शोर से की थी, किंतु सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी। त्रिवेंद्र सरकार के दौरान सतपुली व त्रिवेंद्र रावत के गांव खैरासैण में झील निर्माण हेतु डीपीआर बनाने के आदेश हुए थे। तब खैरासैण की डीपीआर तो बन गयी किंतु सतपुली का मामला लटक गया। महाराज के पुनः पर्यटन मंत्री बनने के बाद धामी सरकार द्वारा इस ओर गंभीरता से विचार किया गया। आखिरकार 3 वर्षों की कागजी मशक्कत के बाद इस जलाशय के निर्माण हेतु नाबार्ड से 53.53 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए गए जबकि राज्य सरकार ने भी 2.8 करोड़ रुपये के अंशदान की स्वीकृति प्रदान कर दी।
अब इस झील के निर्माण का कार्य सम्बंधित कार्यदायी संस्था द्वारा शुरू कर दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि 2027 तक झील का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा। जलाशय के निर्माण के बाद यहां वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियां शुरू होने की संभावना है साथ ही पर्यटन की अन्य गतिविधियों के संचालन की उम्मीद है। यह जलाशय लैंसडाउन व देवप्रयाग से महज एक घण्टे की दूरी पर है, ऐसे में लैंसडौन व देवप्रयाग-व्यासघाट आने वाले सैलानी आसानी से यहां पंहुच कर जलाशय में होने वाली पर्यटन गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। इस जलाशय के निर्माण के बाद द्वारीखाल के एक दर्जन से अधिक गांवों को सिंचाई सुविधा नही मिलने लगेगी। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस जलाशय के बहुआयामी लाभ समूची नयार घाटी को मिलेंगे।