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धराली आपदा में लापता लोगों को मृत घोषित करने का स्वागत

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★एसडीसी फाउंडेशन ने किया स्वागत पूर्ववर्ती आपदाओं पर भी समान प्रक्रिया लागू करने की मांग★
देहरादून।

देहरादून के पर्यावरणीय एवं सामाजिक सरोकारों पर कार्यरत संस्था एसडीसी फाउंडेशन ने धराली (उत्तरकाशी) आपदा के लापता व्यक्तियों को मृत घोषित करने के उत्तराखंड सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर इस कदम को मानवीय, संवेदनशील और व्यावहारिक पहल बताया था, जिससे प्रभावित परिवारों को लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता और मानसिक तनाव से राहत मिलेगी।
अनूप नौटियाल ने कहा कि मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने और मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया उन परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगी, जिन्हें अब तक कानूनी और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण सहायता नहीं मिल पाई थी। नौटियाल सरकार से आग्रह किया कि 1 जनवरी 2018 से 30 सितंबर 2025 तक राज्य में हुई सभी आपदाओं में जिन लापता व्यक्तियों के अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए हैं, उनके लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जाए।
अनूप नौटियाल ने अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को सात वर्ष तक लापता रहने के बाद ही मृत घोषित किया जा सकता है, प्राकृतिक आपदाओं जैसी असाधारण परिस्थितियों में बाधक साबित होती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक विशेष नीति बनाकर अधिकतम छह महीने के भीतर लापता व्यक्तियों को विशेष प्रक्रिया द्वारा मृत घोषित करने की व्यवस्था करे। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि लापता व्यक्तियों का एक केंद्रीकृत डिजिटल रजिस्टर बनाया जाए, जिससे राहत कार्यों, खोजबीन और पुनर्वास की स्थिति नियमित रूप से अपडेट की जाए।
अनूप नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड जैसे भूकंपीय और भौगोलिक रूप से संवेदनशील राज्य में यह निर्णय मानवीय दृष्टिकोण और पारदर्शिता को सशक्त करेगा और प्रभावित परिवारों को शीघ्र राहत दिलाने में सहायक होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी से 9 नवंबर, 2025 को उत्तराखंड रजत जयंती पर यह घोषणा करने का निवेदन किया है।

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