कोश्यारी की पाती से सियासी बना हाई कोर्ट शिफ्टिंग का मसला
अजय रावत अजेय
●गढ़वाल कुमाऊं के तराजू में झूलता हाइकोर्ट शिफ्टिंग का मुद्दा●
■कोश्यारी ने इशारों इशारों में उच्च न्यायालय को हल्द्वानी में ही शिफ्ट करने की कर दी पैरवी■
माननीय उच्च न्यायालय के शिफ्टिंग सम्बन्धी आदेश के इस मसले को लेकर गढ़वाल व कुमाऊं के अधिवक्ताओं के मध्य एक रार छिड़ी ही थी कि न्यायालय ने इस हेतु ऑनलाइन जनमत संग्रह कराने हेतु के प्रक्रिया शुरू करने का भी आदेश दे दिया। फ़िलहाल तक यह मसला केवल वकीलों के मध्य था किंतु जनमत संग्रह की पहल के बाद यह पब्लिक डोमेन में भी तैरने लगा। रही सही कसर खांटी नेता भगत सिंह कोश्यारी ने सीएम को लिखी एक चिट्ठी ने पूरी कर दी। अब यह मसला न केवल सियासी रंग में रंग गया है बल्कि गढ़वाल बनाम कुमाऊं के तराजू में भी झूलने लगा है।
दरअसल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने लेटर में जिन बिंदुओं का जिक्र किया है उनमें अनेक निहितार्थ शामिल हैं। पहले ही पॉइंट में कोश्यारी कहते हैं कि राज्य गठन के दौरान ही यह तय कर दिया गया था कि तात्कालिक राजधानी देहरादून में होगी जबकि हाई कोर्ट नैनीताल में होगा। साफ है कि भगतदा कहना चाहते हैं कि राजधानी गढ़वाल रीजन के हिस्से आयी थी तो हाई कोर्ट कुमाऊं के खाते में तय किया गया था।
अन्य बिंदुओं में भगतदा नैनीताल के ऐतिहासिक महत्व का महिमामंडन करते हुए कहना चाहते हैं कि जिस शहर में ब्रिटिश काल से ही एक ग्रीष्मकालीन राजधानी के भार को सहा है, तो आखिर ऑनलाइन व वर्चुअल मीट के इस दौर में क्यों नहीं नैनीताल में हाइकोर्ट संचालित किया जा सकता है। वहीं भगतदा आगे बढ़ते हुए यह जिक्र करते हैं कि पूर्व में गौला पर हल्द्वानी में चिन्हित भूमि में जिन अड़चनों की बात की जा रही हैं, उनका निदान आसानी से किया जा सकता है।
गौला पर हल्द्वानी में चिन्हित भूमि व उसके फारेस्ट सहित तमाम क्लीयरेंस का जिक्र भी भगतदा ने किया है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि हाई कोर्ट निर्माण हेतु जितने पेड़ों का पातन किया जाना है, उसके ऐबज़ में आसानी से अन्य स्थान पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के अनुरूप वनीकरण किया जा सकता है। यहां तक कि भगतदा गौला पार में चिन्हित स्थान पर खड़े पेड़ों की गोलाई भी नाप लाये हैं।
यही नहीं कोश्यारी यह भी बताते हैं कि वहां एयरपोर्ट, हॉस्पिटल व नेशनल हाइवे जैसी सुविधाएं कितने किलोमीटर पर मौजूद हैं।
लब्बोलुबाब यह कि भगतदा अव्वल तो नैनीताल से न्यायालय की शिफ्टिंग के पक्ष में नहीं हैं और यदि यह बेहद जरूरी हो तो हर हाल में हल्द्वानी में ही इसको शिफ्ट किया जाए।
दरअसल कोश्यारी ने अपनी पाती के पहले ही बिंदु में स्पष्ट कर दिया है कि जब राजधानी गढ़वाल इलाके में है तो हाइकोर्ट को हर हाल में कुमाऊं में ही होना चाहिए। अधिवक्ताओं के बाद सियासतदानों में हाई कोर्ट को लेकर गढ़वाल वर्सेज़ कुमाऊं होने के बाद यह रार पब्लिक
डोमेन तक पंहुच गयी है। देखना है हाई कोर्ट शिफ्टिंग के बहाने सतह पर आई यह रार क्या गुल खिलाती है।