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..तो क्या पौड़ी गढ़वाल में भी सिटिंग पर ही दांव खेलने जा रही भाजपा

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हिम् तुंग वाणी

हालांकि भाजपा हाई कमान ने उत्तराखंड की पौड़ी और हरिद्वार लोकसभा सीट पर अभी अपने फैसले को होल्ड पर रखा है, किन्तु समय के साथ बढ़ती उलझन के बीच अब इस बात की संभावनाएं बलवती होने लगी हैं कि भाजपा मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत पर ही दांव खेलने जा रही है। तीरथ की अपने संसदीय क्षेत्र में सतत सक्रियता व दांव पेंच से मुक्त निर्विवाद छवि उनके पक्ष में जा रही है। वहीं इस सीट पर एक और प्रबल दावेदार अनिल बलूनी को लेकर चर्चा है कि उन्हें पहाड़ी समुदाय बाहुल्य वाली ईस्ट दिल्ली सीट से आजमाया जा सकता है, क्योंकि भाजपा हाई कमान द्वारा ईस्ट दिल्ली सीट को भी फिलहाल होल्ड पर रखा गया है।

भाजपा द्वारा जारी अपनी पहली सूची में जब उत्तराखंड की 5 में से 3 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए तो तीनों सीटों पर मौजूदा सांसदों पर दांव खेला गया। पार्टी के द्वारा लिए गए इस फैसले से हैरानी इस बात की हुई कि जब तीन सीटों पर मौजूदा सांसदों पर ही दांव खेला गया तो आखिर पहली बैठक में पौड़ी से तीरथ को रिपीट करने का फैसला क्यों नहीं लिया गया। जबकि क्षेत्र व संसद में सक्रियता एवं 2022 के विस् चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र से जीत के प्रतिशत के मामले में तीरथ पूरे प्रदेश में अव्वल रहे हैं।

बावजूद पहली सूची में उनका नाम न आना इस बात की तस्दीक करता है कि इस सीट पर अन्य दिग्गज़ बड़ी लॉबिंग के साथ अपनी दावेदारी पेश कर रहे होंगे। अनिल बलूनी के साथ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस सीट को लेकर प्रयासरत बताए जा रहे हैं। हालांकि त्रिवेंद्र की नजर हरिद्वार पर भी है लिहाजा तीरथ के समक्ष अनिल बलूनी ही ऐसा नाम है जिनके चलते इस सीट पर थोड़ी उलझन नजर आयी। हालांकि चर्चा यह भी है कि लॉबिंग व जोड़तोड़ करने वाले दावेदारों के प्रति भाजपा हाई कमान ने नजरें तरेर रखी हैं, पार्टी आलाकमान की प्राथमिकता में जोड़ तोड़ व लॉबिंग की प्रवृत्ति से मुक्त दावेदार हैं। वहीं अनिल बलूनी के बाबत दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि पार्टी द्वारा पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित करने के फैसले को होल्ड में रखा गया है, बहुत संभव है कि वह अनिल बलूनी को दिल्ली शिफ्ट किया जाए। ऐसे में यदि पार्टी कोई आउट ऑफ द बॉक्स डिसीज़न न ले तो पौड़ी गढ़वाल से तीरथ का रिपीट होना तय है।

तीरथ रावत ने बीते एक वर्ष में जिस तरह से बद्रीनाथ से कोटद्वार और नरेंद्रनगर से रामनगर तक के विधानसभा क्षेत्रों में नियमित अंतराल में उपस्थिति दर्ज कर जनता से संवाद बनाया, साथ ही अपने संसदीय क्षेत्र के तमाम जिलों की दिशा जैसी बैठकों में सक्रिय उपस्थिति दर्ज रखी, यह पहलू न केवल उनके पक्ष में जाता बल्कि जो तीन सांसद रिपीट हुए हैं उनसे भी तीरथ को बीस साबित करने के लिए पर्याप्त है।
वहीं यदि लोकसभा में तीरथ की सक्रियता के आंकड़े पर नजर डालें तो पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत की संसद में हाजिरी 92 प्रतिशत रही थी साथ ही वे उत्तराखंड के सांसदों में सवाल पूछने के मामले में अब्बल रहे। संसद के रिकॉर्ड के अनुसार तीरथ सिंह रावत 44 डिबेट में भाग लिया और 63 सवाल पूछे। इन सवालों में तारांकित और अतारांकित दोनों प्रश्न शामिल हैं।
जिस तरह से अल्मोड़ा, नैनीताल व टेहरी में टिकट रिपीट हुए हैं तो भाजपा हाई कमान के पास शायद ही कोई ऐसा तर्क शेष हो कि वह पौड़ी में उक्त तीन सीटों से इतर फैसला ले सकें। बहरहाल, पौड़ी को भाजपा हाइकमान के फैसले का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है।

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