उत्तराखंड: तो क्या लोस चुनाव में भाजपा को वॉकओवर देने जा रही कांग्रेस

हिम तुंग वाणी॥
जिस तरह से भाजपा हाइकमान द्वारा उत्तराखंड व उप्र की संसदीय सीटों परप्रत्याशी तय करने के लिए सबसे पहले कसरत तक़रीबन पूरी की जा चुकी है, उससे लगता है उत्तराखंड वेस्टर्न यूपी में प्रथम चरण में मतदान होना तय है। किंतु उत्तराखंड में कांग्रेस फ़िलवक्त तक पूरी तरह सुप्तावस्था में नजर आ रही है। पार्टी खेमे में अभी तक तो नेताओं द्वारा दावेदारी करने तक की खबरें नहीं आ रही हैं। थोड़ा बहुत हरिद्वार सीट पर ऐसी सुगबुगाहट अवश्य सुनने को मिली लेकिन उसमें भी चर्चाओं में रहने तक का मन्तव्य प्रतीत हुआ। पूर्व मंत्री डॉ हरक सिंह भले ही हरिद्वार को लेकर सार्वजनिक तौर पर ऐलान भी कर चुके थे और दबे पांव चुनावी रणनीति में भी मशगूल हो गए थे किंतु अचानक ईडी के पंजे ने हरक सिंह की गर्दन दबोच ली।
अति आत्मविश्वास से लबरेज़ बीजेपी ने धड़ाधड़ बैठकें कर प्रदेश की पांचों लोस सीटों के लिए 55 नाम तय कर जैसे ही दिल्ली दरबार तक भेजे, आलाकमान ने भी तुरंत बैठक आयोजित कर इन पर गंभीरतापूर्वक एक्सरसाइज़ भी शुरू कर दिया। हो न हो सभी सीटों पर नाम तय कर लिफाफे में बंद भी कर दिए गए हों। किन्तु इसके विपरीत कांग्रेस अचेतन सी पड़ी हुई दिखाई दे रही है।
वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य व समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस की तैयारी भाजपा के मुकाबले त्वरित व गंभीर होनी चाहिए थी। भाजपा से लोहा लेने के लिए कांग्रेस को अपेक्षाकृत अधिक समय की दरकार भी है। संसाधनों की कमी के चलते प्रत्याशियों को अभी से चुनावी क्षेत्र में जुट जाना चाहिए था। उदासीन पड़े कैडर को चुस्त दुरुस्त करने के लिए प्रत्याशियों को काफी वक्त लगना तय है। बावजूद इसके कांग्रेस का न केवल प्रांतीय बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व भी उदासीन पड़ा हुआ है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा से देश के साथ भले न्याय हो न हो लेकिन उत्तराखंड जैसे सूबे में कांग्रेस पार्टी के साथ अन्याय होता नजर आ रहा है। इस प्रदेश में लम्बे समय तक मजबूत जमीनी कैडर वाली कांग्रेस के अंतिम पायदान के कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए इस समय बड़े नेताओं का सानिध्य जरूरी था, किन्तु कांग्रेस इस मोर्चे पर लगभग हथियार डाले बैठी हुई दिखाई दे रही है।
हैरान करने वाली बात है कि पार्टी के नेता टिकट की दावेदारी तक करने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। अकेली हरिद्वार सीट पर हरक सिंह रावत गंभीरता से दावेदारी करते नजर क्या आ रहे थे कि इस बीच प्रवर्तन निदेशालय को भनक लग गयी। इस सीट पर जैसे ही हरीश रावत ने दावेदारी की कि पीछे से उनके पुत्र ने भी स्वयं की दावेदारी पेश कर डाली। ऐसे में यहां भी कांग्रेस हास्यास्पद श्रेणी में आ गयी।
आगामी लोक सभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले खड़े होने के लिए कांग्रेस को बड़े समयावधि की आवश्यकता है। यदि पार्टी जल्द नामों की घोषणा कर प्रत्याशियों को मैदान में भेज देती है तो भाजपा को चुनौती दी जा सकती है, किन्तु यदि पार्टी ऐसा नहीं कर पाई तो बचा खुचा कैडर भी कब भगवा पटका गले मे लटका दे, कहा नहीं जा सकता। फ़िलहाल कांग्रेस खेमे की खामोशी से तो ऐसा लगता है कि पार्टी भाजपा को थाल में सजाकर वॉकओवर देने का मन बना चुकी है।