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लोकसभा कैंडिडेट को लेकर चौंकाने वाले हो सकते हैं मोदी-शाह प्लान के फैसले

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हिम तुंग वाणी॥
गुरुवार को भले ही भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की एक हाई लेबल बैठक के दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि देर रात तक उत्तराखंड व पश्चिमी उप्र की करीब सवा सौ सीटों पर पार्टी अपने कैंडिडेट्स का खुलासा कर देगी, लेकिन अभी तक संशय बरकरार है। उत्तराखंड में कल चर्चा थी कि जो 55 नाम देहरादून में आयोजित हाई प्रोफाइल मीटिंग के जरिये दिल्ली भेजे गए थे उनकी स्क्रूटनी कर पार्टी पांचों रणक्षेत्रों के लिए अपने सेनापतियों के नाम घोषित कर देगी, ऐसे कयास इसलिए भी लगाए जा रहे थे कि इस मैराथन बैठक में स्वयं प्रधानमंत्री के साथ अमित शाह, जेपी नड्डा, धामी व महेंद्र भट्ट मौजूद थे। इस बैठक में निश्चित रूप से तकरीबन सभी सीटों पर मारामारी देखने को मिली होगी। नतीजतन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अब आखिरी फैसला मोदी-शाह की जुगलबंदी से ही होगा। हैरानकुन फैसले लेने वाले मोदी-शाह के पिटारे से जब 5 नाम बाहर निकलेंगे तो हो सकता है वह नाम सियासतदानों के साथ पत्रकारों व विश्लेषकों की कल्पना के पार हों।
चर्चा है कि प्रदेश की 5 में से 3-4 मौजूदा सांसदों को ड्राप किया जा रहा है किंतु मोदी-शाह प्लान इतना रहस्यमयी होता है कि हो सकता है सभी मौजूदा सांसदों को रिपीट कर दिया जाए अथवा सभी को ड्राप कर नए चेहरों को मैदान में उतारा जाए। वर्तमान सांसदों को ड्राप करने की स्थिति में पार्टी नेतृत्व को जबरदस्त माथापच्ची करनी होगी , ऐसे उहापोह की स्थिति में किसी पहली पायदान के नेता अथवा किसी प्रवासी व्यक्ति की लाटरी खुलने के चांसेज बन जाएं तो हैरानी न होगी। देहरादून से तय उस सूची को भी आखिरी वक्त पर कूड़े में डालने में भी मोदी शाह की जोड़ी को कोई हिचक नहीं होगी।
यदि प्रदेश सरकार के मंत्रियों अथवा पूर्व मुख्यमंत्रियों को संसद भेजने पर विचार होगा तो इस फैसले को लेने के लिए नेतृत्व को एक लंबी एक्सरसाइज़ करनी होगी। जिस तरह से अब पार्टी लाइन में पहले पायदान में बैठे नेताओं के नाम भी कंसीडर करने की चर्चा है, उससे यही संकेत मिलता है कि बड़े नेताओं की जबरदस्त लॉबिंग से उपजने वाली उहापोह की स्थिति से निपटने के लिए पार्टी हाई कमान राजस्थान के भजन लाल जैसा चौंकाने वाले फैसले ले सकते हैं।
बड़े नामों के चुनाव लड़ने से भितरघात की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। यहां तक कि दिल्ली से संचालित होने वाली उत्तराखंड की सियासी गणित में दिल्ली पंहुचा कोई बड़ा नेता नए समीकरण बनाने स्थिति में आ जाता है, जो पदारूढ़ सूबेदार के लिए खतरे की घण्टी बनता रहा है। ऐसे में धामी भी सभी संभावनाओं को मध्यनजर रखते हुए ही किसी नेता विशेष की सिफारिश अथवा उसे रोकने की कोशिश भी अवश्य करेंगे, जिसमें उन्हें महेंद्र भट्ट का साथ मिलना भी तय है।
बड़े नामधारी नेताओं की जम्बो लिस्ट के चलते मोदी शाह प्लान के तहत जो नाम निकलेंगे, अवश्य वह या तो बेहद स्वाभाविक होंगे अथवा कल्पनातीत होंगे।

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