#उत्तराखण्ड

देवभूमि की डेमोग्राफी में बदलाव से सामाजिक विद्रूपताओं की नई चुनौती

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हिम् तुंग वाणी।
कुमाऊं तराई के सबसे बड़े नगर हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके की घटना सामाजिक सौहार्द वाली देवभूमि के चेहरे पर एक कलंक की तरह अंकित हो गयी है। किंतु जिस तरह से उत्तराखंड का सोशियो-इंजिनीरिंग में बदलाव आ रहा है उससे देवभूमि के वास्तविक स्वरूप के खण्डित होने का खतरा मंडराने लगा है। उत्तर प्रदेश से सटे जनपदों का वास्तविक डेमोग्राफिक सिनेरियो ही बदल गया है।
■सीमावर्ती जनपदों में हालात नाजुक■
उत्तर प्रदेश से सटे हुए जनपदों में आसान आवाजाही होने के कारण हालात काफी जटिल हो गए हैं। सहारनपुर, मुज्जफरनगर, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, पीलीभीत व बरेली जैसे जनपदों से उत्तराखंड के विकासनगर, देहरादून, रुड़की, हरिद्वार, कोटद्वार, रामनगर, हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, टनकपुर तक इन जनपदों के लोग बड़ी संख्या में न केवल रोजगार कर रहे हैं बल्कि छोटे मोटे धंधों में भी घुसपैठ बनाने लगे हैं।
■सीमांत कारोबार में के जरिये लगातार बढ़ रहा कुनबा■
तराई ही नहीं बल्कि पहाड़ के कतिपय स्थानों में भी बाहरी लोगों द्वारा छोटे कारोबार शुरू कर दिए गए हैं। रेड़ी-ठेली-फड़ के साथ मोटर मेकैनिक जैसे धंधों में एकाधिकार होने के बाद अब इस वर्ग के बाहरी लोग छोटी मोटी दुकानों व खोखों के जरिये अपनी पैंठ मजबूत करने लगे हैं। इतना ही नहीं ऐसे कारोबारी अपने काम मे विस्तार कर नए लोगों को भी अपने साथ लेकर आ रहे हैं, जिससे दिनों दिन देवभूमि की डेमोग्राफी इम- बैलेंस हो रही है।
■योगी के खौफ के चलते अपराधियों के लिए महफूज़ हुई उत्तराखंड की तराई■
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के अपराधियों के प्रति सख्त जीरो टॉलरेंस नीति के चलते अपराध का कैपिटल माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश अपराधी तत्व उत्तराखंड की तराई में सॉफ्ट शेल्टर पा रहे हैं। इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि उत्तराखंड की तराई में स्थित उद्योगों में तैनात अनेक श्रमिक व छोटे कारोबारी उत्तर प्रदेश के सूचीबद्ध अपराधी हों।
■पहाड़ में भी बढ़ने लगी ऐसे तत्वों की आमद■
पहाड़ के गांव गांव तक सड़कों के नेटवर्क के विस्तार के बावजूद भले ही पलायन की दर में कोई कमी नहीं आयी किन्तु यह सड़कें बाहरी लोगों के लिए कारोबार के नए रास्ते अवश्य खोल गयी हैं। पहाड़ों में अनगिनत संख्या में फेरी करने वालों की मौजूदगी लगातार बढ़ने लगी है। आशंका है ऐसे अनेक फेरी वाले अपराधी प्रवृत्ति के हो सकते हैं। अनेक फेरी वाले लगातार एक इलाके में फेरी कर उस क्षेत्र के भोले भाले ग्रामीणों से घुल मिल चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि यही लोग चरणबद्ध तरीके से पहाड़ की डेमोग्राफी को भी बदलने के मिशन को अंजाम दे सकते हैं।

सरस्वती सुमन मासिक पत्रिका का फरबरी विशेषांक: भूटान दर्शन

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