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खतरनाक: मिशनरीज़ ने ढूंढा हवाला के लिए नेपाल से नया रास्ता

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रतन सिंह असवाल, मैनेजिंग एडिटर
(हिम तुंग वाणी)

सरकार की सख्ती के बाद नेपाल को बनाया रास्ता
●फल फूल रहा भारत-नेपाल हवाला कारोबार

भारत सरकार द्वारा देश में मिशनरीज द्वारा धर्मांतरण व अन्य गतिविधियों के संचालन की खातिर भेजे जाने वाले पैसे पर रोक लगाने हेतु सख़्त कदम उठाने के बाद मिशनरीज के नुमाइंदों ने नया रास्ता ढूंढ लिया है। सूत्रों के मुताबिक अब इन मिशनरीज को बारास्ता नेपाल भारत में पैसा भेजना मुफीद लग रहा है नतीजतन नेपाल से हवाला के जरिये यह पैसा भारत भेजा जा रहा है।
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल से ही अविभाजित भारत में ब्रिटिश मिशनरीज द्वारा ईसाई धर्म के प्रचार के लिए तमाम संसाधनों का प्रयोग किया जाता था। यूरोप से बड़े पैमाने पर पैसा हिंदुस्तान भेजा जाता था।
आजादी के बाद भी मिशनरीज द्वारा इस अभियान को और धार दी गयी।
जगह जगह हॉस्पिटल्स व स्कूल खोलकर मिशनरीज जरूरतमंद लोगों की सेवा कर क्रिसचैनियटी का प्रचार करते रहे। नतीजतन बड़ी तादात में लोगों ने ईसाई धर्म को अंगीकार कर लिया। हॉस्पिटल व स्कूल के अतिरिक्त चर्चों के जरिये भी निर्बल व गरीब लोगों की इमदाद कर उन्हें क्रिश्चन धर्म स्वीकार करने को प्रेरित किया गया।
इन मिशनरीज के लिए समाज के दलित व निर्बल वर्ग के लोग सॉफ्ट टारगेट रहे हैं। मुफ्त इलाज व स्कूलिंग के साथ किताब, यूनिफार्म आदि वितरित कर इन्होंने स्थानीय समाज में अपनी छवि को निखारने के बाद अपने असल उद्देश्यों हेतु अभियान चलाया।
केंद्र में दक्षिण पंथी पार्टी की सरकार के काबिज होने के बाद इस हेतु आने वाले आर्थिक संसाधनों पर लगाम लगाने के लिए सरकार की तमाम एजेंसियों के सतर्क होने के बाद किसी हद तक इन गतिविधियों पर ब्रेक लगा।
यूरोप व अमेरिका जैसे सम्पन्न देशों से भारतीय उपमहाद्वीप में बड़े पैमाने पर आने वाले इस पैसे से भारत जैसे विशाल देश में इस अभियान को केंद्रित किया गया। आदिवासी, दलित, निर्बल व आर्थिक रूप से विपन्न तबकों पर मिशनरीज की इन योजनाओं का असर पड़ता देख सतर्क हुई सरकार ने अब देश में ऐसा पैसा आने पर लगाम लगाई। किन्तु मिशनरीज़ के नुमाइंदों ने इसका भी तोड़ ढूंढ लिया है।
एक बेहद चिंताजनक सूचना है कि अब वाया नेपाल हवाला के जरिये मिशनरीज़ अपने मिशन को पूरा करने के लिए पैसा भेज रही हैं। हवाला के बड़े बड़े रैकेट्स का इसमें संलिप्त होने का अंदेशा है।

धर्मांतरित व्यक्तियों को आरक्षण की सूची से बाहर करे सरकार
यह स्पष्ट है कि मिशनरीज के लिए दलित व आदिवासी वर्ग ही सबसे सॉफ्ट टारगेट है। अक्सर देखा जा रहा है कि ईसाई अथवा अन्य धर्मों को अडॉप्ट कर चुके लोग समाज में अथवा व्यवहार में तो नए धर्म जैसा आचरण करते हैं किंतु दस्तावेजों में वह एससी अथवा एसटी ही बरक़रार रहते हैं। ऐसे में उनको मिलने वाली तमाम सरकारी

रतन सिंह असवाल
मैनेजिंग एडिटर

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सहूलियतें व आरक्षण बरकरार रहता है। यदि स्थानीय अभिसूचना इकाईयों व अन्य एजेंसियों के जरिये ऐसे व्यक्तियों व परिवारों को सूचीबद्ध कर उन्हें इन सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाए यो धर्मांतरण की प्रवृत्ति को हतोत्साहित किया जा सकता, जिससे इस अभियान में हवाला जैसी समस्याओं से काफी हद तक निजात मिल सकता है।

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