राष्ट्रीय मीडिया व अर्नाल्ड डिक्स: घर का जोगी जोगणा, आन गांव का सिद्ध
हिम तुंग वाणी
■राष्ट्रीय मीडिया गोरी चमड़ी के मोहपाश में कैद
■प्रदेश के भूवैज्ञानिकों व तकनीशियनों को नहीं मिल रही अपेक्षित तवज्जो
■ऑपरेशन सिलक्यारा में भूवैज्ञानिकों से लेकर ट्राला ड्राइवरों की भूमिका समान रूप से अहम
जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे हैं सिलक्यारा टनल साइट पर मीडिया का जमावड़ा लगने लगा है। शुरुआती दिनों में स्थानीय व प्रादेशिक मीडिया कर्मी ही यहां मौजूद थे किंतु अब यहां ‘पीपली लाइव’ की तर्ज़ पर राष्ट्रीय मीडिया के तथाकथित भारी भरकम ख़बरनबीस भी सिलक्यारा में जम चुके हैं। किंतु यदि राष्ट्रीय मीडिया की कवरेज पर ध्यान दिया जाए तो अधिकांश स्पेस अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्सपर्ट व अधिवक्ता अर्नाल्ड डिक्स को मिल रहा है।
बेशक, अर्नाल्ड एक मंझे हुए ड्रिलर व आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ हो सकते हैं किंतु सिलक्यारा जैसी आपदा में अन्य स्थानीय भूवैज्ञानिकों व विशेषज्ञों की भूमिका उनसे कमतर नहीं आंकी जा सकती। वास्तविक रूप से विश्लेषण किया जाए तो प्रदेश व देश के जियोलॉजिस्ट व माइन एक्सपर्ट की भूमिका अपेक्षाकृत अधिक प्रासंगिक है। किंतु अधिकांश नेशनल मीडिया हाउस गोरी चमड़ी के मोहपाश से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, नतीजतन स्थानीय व देशी एक्सपर्ट्स को नजरअंदाज किया जा रहा है।
जैसा कि अब सूत्रों से जानकारियां मिल रही हैं कि अब वह घड़ी दूर नहीं है जब 17 दिनों से अंधेरे में कैद 41 जिंदगियां खुले आसमान में सांस लेने का सौभाग्य प्राप्त करेंगी, तो इन 15 से अधिक दिनों में अर्नाल्ड डिक्स की भूमिका के साथ अन्य सभी इंजीनियरों, जियोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन से लेकर इस अभियान में दिन रात एक किया हैवी एअर्थ मूवर ऑपरेटर, ट्राला व ट्रक ड्राइवर्स, मैन्युअली अपनी भूमिका निभा रहे मजदूर आदि की भूमिका भी समान्तर रूप से बराबर रही है और अंतिम समय तक रहेगी।