वर्ड कांग्रेस: 350 शोध में कहीं 41 जिंदगियों को बचाने का फार्मूला भी होगा..!

अजय रावत अजेय, हिम तुंग वाणी
■आपदा की सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहा उत्तराखंड इन दिनों
■सिलक्यारा में आपदा के वीभत्स रूप तो देहरादून में आपदा पर मंथन
■एक तरफ 70 मुल्कों के एक्सपर्ट तो दूसरी तरफ 17 दिन से 41 जिंदगियां अधर में
■कांग्रेस समापन से पूर्व निकाल लिए जाएंगे मजदूर…!
इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में बीते 17 दिन से 41 जिंदगियां कैद हैं और उसी दरमियान उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी में 70 देशों के डिसास्टर मैनेजमेंट के खांटी एक्सपर्टों का जमावड़ा लग रहा है।
देहरादून के एक निजी विवि में 28 नवम्बर से 1 दिसंबर तक छठवां वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिसास्टर मैनेजमेंट का आयोजन हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस कांग्रेस में सीएम धामी द्वारा पीएम मोदी की उस पुस्तक का भी विमोचन किया जाएगा, जिसमे दावा है कि मोदी द्वारा किस तरह से भारत में आपदा प्रबंधन मॉडल को ज्यादा प्रभावी बनाया गया है।
सबसे अहम बात यह है कि इस कांग्रेस में 4 दिनों तक विभिन्न राष्ट्रों के शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों द्वारा 350 शोध प्रस्तुत किये जायेंगे। किन्तु संयोगवश इस कांग्रेस के उत्तराखंड के देहरादून में आयोजन की जो टाइमिंग बनी, उसमें यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इन 350 शोधों में उन 41 जिंदगियों को बचाने का भी कोई फार्मूला है जो 17 दिनों से अंधेरी सुरंग में कैद हैं।
बेशक, इस कांग्रेस में किताबी तौर पर आपदा प्रबंधन व न्यूनीकरण को लेकर बेहद उम्दा रिसर्च व विचार प्रस्तुत होंगे किन्तु सिलक्यारा में पिछले 17 दिनों का तजुर्बा इस बात की तस्दीक करता है कि सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति व सर्वोच्च प्रयासों के बाद भी इस तरह की आपदा में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मासूमों के भविष्य को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पा रहा है। अर्थात तमाम एक्सपर्ट व शोध सिर्फ किताबों या प्रेजेंटेशन में ही कारगर नज़र आते हैं, धरातल पर इनका असर विश्वसनीय नहीं है।
बहरहाल, आपदा में हर वर्ष सैकड़ों जिंदगियों और अरबों की संपति खोने वाले उत्तराखंड स्टेट में डिज़ास्टर पर एक चार दिवसीय ग्लोबल कॉन्फ्रेंस होना गर्व का विषय हो सकता है लेकिन इन चार दिनों में एक सवाल सबके दिमाग में कौंधेगा कि 70 देश, 350 शोध के आंकड़े के बीच अंधेरे में कैद 41 जिंदगियों को खुले आसमान का उजाला कब नसीब होगा..?
उम्मीद करें कि इस ग्लोबल कांग्रेस के दौरान ही सभी 41 मजदूर निकाल लिए जाएं ताकि उत्तराखंड में इस वैश्विक जमावड़े की प्रासंगिकता साबित हो सके।
