तो क्या विनोद चमोली की नज़र टेहरी लोकसभा सीट पर..!
■स्मार्ट सिटी देहरादून को लेकर विनोद चमोली ने उठाये सवाल, त्रिवेंद्र सरकार निशाने पर
■टाइमिंग: लोस चुनाव से महज 6 महीने पहले आयी चमोली को याद
अनिल बहुगुणा अनिल (हिम तुंग वाणी)
विधायक विनोद चमोली बगावती हो गए हैं…! यह खबर तैर रही है , लेकिन यदि चमोली के आरोपों को गहराई से सुना जाए तो उनके निशाने पर न भाजपा की वर्तमान प्रदेश सरकार है और न ही मौजूदा मुख्यमंत्री धामी। उन्होंने स्मार्ट सिटी की डीपीआर पर सवाल उठाए हैं, जो पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के कार्यकाल के दौरान तैयार हुई थी।
विनोद चमोली का आरोप है कि स्मार्ट सिटी की डीपीआर में ही छेड़छाड़ की गई, मानकों के विरुद्ध डीपीआर में तब्दीली की गई। ज़ाहिर है यह सब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के दौरान हुआ, इसलिए यह आरोप अप्रत्यक्ष रूप से त्रिवेंद्र रावत की ओर ही इशारा करते हैं।
इधर, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत बेहद सक्रिय नज़र आ रहे हैं, उनकी नज़र न केवल गढ़वाल लोक सभा बल्कि टेहरी लोकसभा सीट पर भी है। यहां तक कि हरिद्वार लोक सभा सीट भी उनकी नज़र से दूर नहीं है। किंतु जिस प्रकार से विनोद चमोली का तर्क है कि वह दो मर्तबा नगर निगम देहरादून के चैयरमैन भी रह चुके हैं, उससे वह दर्शाना चाहते हैं कि टेहरी लोक सभा सीट पर उनका बड़ा दबदबा है, क्योंकि देहरादून नगर निगम के अंदर आने वाली अधिकांश विस सीटें टेहरी लोस क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। लब्बोलुआब यह कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अनियमितताओं के बहाने त्रिवेंद्र पर निशाना साधकर विनोद चमोली अपनी दावेदारी को प्रस्तुत करते नज़र आ रहे हैं।
जिस प्रकार से विनोद चमोली ने इस आरोप के लिए टाइमिंग का चयन किया है उसे समझना सियासी पंडितों के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है। आखिर आज तक विनोद चमोली को स्मार्ट सिटी की डीपीआर में गड़बड़ी नज़र क्यों नहीं आयी..?