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राज्य सहकारी बैंक: प्रबन्धकीय मनमानी से रसातल को जा रहा बैंक

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●एमडी पर मनमाने निर्णय लेने के आरोप●
●तुगलकी फऱमामों और बदसलूकी से पूरा स्टाफ परेशान●
●सातवें वेतनमान से बंचित किया गया कर्मचारियों को●
●स्टाफ की भारी कमी के बाद नहीं कर रहे नई भर्तियां●

हल्द्वानी।

एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार सहकारिता को बढ़ावा देने की बात कर रही है तो दूसरी ओर उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक प्रबंध निदेशक (एमडी) नीरज बेलवाल की निरंकुश तौर तरीकों से तबाही की ओर जा रहा है। बैंक के समस्त समस्त अफसर और स्टाफ एमडी को बदसलूकी का शिकार हो रहे हैं।
एमडी ने बैंक को अपनी निजी कंपनी बना लिया है। मामूली बात स्टाफ को नौकरी से निकालने की धमकी और सार्वजिनक तौर पर बदसलूकी आम बात हो गई है। बैंक की सभी शाखाओं मे स्टाफ की भारी कमी है पर नई भर्तियां तो की ही नहीं जा रही है। स्टाफ को तरह-तरह से मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।
काम के बोझ के मारे स्टाफ को उनका हक तक नहीं दिया जा रहा है। इस बार बोनस छह महीने लेट दिया गया है। स्टाफ को सातंवे वेतनमान का लाभ दिया जाना है पर एमडी ने उसे भी रोक रखा है। अगर 31 दिसंबर नया वेतनमान नहीं दिया जाता है तो यह लैप्स हो जाएगा। फिर स्टाफ का कई साल तक आठवें वेतनमान के लागू होने का इंतजार करना पड़ेगा।
एमडी के इस तुगलकी रवैय्ये से पूरा स्टाफ परेशान है। विभागीय मंत्री से शिकायत करने की बात अगर कोई स्टाफ करता है तो उसे नौकरी से निकालने की खुली धमकी दी जाती है। एमडी ने स्टाफ को डरा रखा है कि मंत्रीजी का उसे आशीर्वाद मिला हुआ है। अगर कोई शिकायत करने गया को उसका बुरा हाल किया जाएगा।
इस मामले में एमडी से बात करने की कोशिश की गई पर संपर्क नहीं हो सकता। उनका पक्ष मिलने पर उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।

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