मंडलायुक्त पांडे: कहाँ नीती कहां माणा, श्याम सिंह पटवारी ने कहां कहां जाणा
पौड़ी॥ हिमतुंग वाणी
हालांकि, प्रदेश सरकार दावा कर रही है कि गढ़वाल मंडल की समस्याओं के त्वरित निदान हेतु गढ़वाल कमिश्नर को पर्याप्त लिबर्टी व समय देने के साथ कमिश्नर को मुख्यालय पौड़ी में बिठाने को हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं किन्तु लगता है यह सब किताबी साबित हो रहा है, जिस तरह से कमिश्नर गढ़वाल को लगातार नई व बोझिल जिम्मेदारियां दी जा रही हैं, उससे गढ़वाल में प्रचलित एक पुरानी कहावत “कहाँ नीती कहां माणा, श्याम सिंह पटवारी ने कहां कहां जाणा
” वाली कहावत ही चरितार्थ हो रही है।
गढ़वाल कमिश्नर को पौड़ी की जनता पौड़ी बिठाने के लिए और अधिकांश समय पौड़ी में रहने के लिए धरना प्रदर्शन पर करने पर लगी है ठीक इसके उलट मुख्यमंत्री ने आयुक्त गढ़वाल को और अतरिक्त प्रभार दे कर शक्तिशाली नौकरशाह बना दिया है। अब और अतरिक्त प्रभार मिल जाने के बाद कमिश्नर गढ़वाल विनय शंकर पांडे पर कमिश्नरी गढ़वाल के लिए समय बच पायेगा या नहीं ये आने वाला समय ही बता पायेगा। उत्तराखंड सरकार प्रदेश में बाहरी निवेश को लेकर ज्यादा चिंतित है। इसके लिए इन्वेस्टर्स समिट के दौरान हुए अनुबंध को अमलीजामा पहनाने के लिए तेजतर्रार आईएएस अधिकारी को जिम्मा दे दिया है। मुख्यमंत्री ने अपने सचिव और गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पांडेय को और भी भारी भरकम कर दिया है। इस दिशा में सरकार ने उद्योगों से समन्वय और एमओयू को लिकुडेट के लिए ग्राउंडिंग पर लक्ष्यों को फोकस किया है। ऐसे में अब राज्य सरकार ने उद्योग से जुड़ी अहम जिम्मेदारियों पर निर्णय लेते हुए आईएएस अधिकारी विनय शंकर पांडेय को सारा दारोमदार दे दिया है।
मुख्यमंत्री के विश्वसनीय माने जाने वाले और किचन कैबिनेट के अधिकारियों में सुमार आईएएस अधिकारी विनय शंकर पांडेय को अब महानिदेशक उद्योग, प्रबंध निदेशक सिडकुल, मुख्य कार्यपालक अधिकारी खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडेय को इतने भारी भरकम अतरिक्त प्रभार दे दिए जाने के बाद, आयुक्त के कामकाज के साथ कैसे तालमेल बैठ पायेगा ये उनके अपने पौड़ी मुख्यालय पर बैठने के दिनों से ही पता चल पायेगा। पर इन अतरिक्त प्रभार के साथ और अधिक भारी हुए विनय शंकर पांडे गढ़वाल कमिश्नर के पद के साथ न्याय कर पायेंगे या नहीं.. ये वक़्त बता पायेगा लेकिन पूरी नागरिक कल्याण मंच इस आदेश के बाद अपने को चिढ़ाया गया माना रहा है।