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नई पहल: ट्रैफिक से जाम होते दून, हरिद्वार व ऋषिकेश के लिए ट्रांसपोर्ट ऑथरिटी

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हिमतुंग वाणी।

इस यात्रा सीजन में यूं तो पूरा उत्तराखंड ही ट्रैफिक जाम से पस्त रहा किन्तु हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे चारधाम यात्रा के बेस पड़ावों में तो हालात बेकाबू हो गए। वहीं देहरादून सदाबहार जाम से लगातार जूझ ही रहा है। ट्रैफिक जाम की गंभीरता को देखते हुए धामी सरकार ने भी नया हल ढूंढने की पहल की है। इन महानगरों के ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए अब पृथक एक प्राधिकरण के गठन का फैसला लिया है। हालांकि इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के बिना यह प्राधिकरण कितना कारगर साबित होता है, यह भविष्य की गर्त में छुपा हुआ है।
इस प्राधिकरण के तहत ट्रांसपोर्ट डेवलोपमेन्ट, संचालन, मेंटिनेंस, निगरानी व पर्यवेक्षण के कार्य संपादित होंगे। यहां तक कि सड़क, विद्युत व वाटर सप्लाई जैसे ढांचे में परिवर्तन अथवा अन्य सुधार के कार्य करने से पूर्व सम्बंधित विभागों को इस प्राधिकरण से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। प्रायः यह देखने में आता है कि भूमिगत विद्युत लाइन, पेयजल लाइन, संचार केबल व सीवरेज आदि के चलते सड़कों पर अनचाहा अतिक्रमण हो जाता है। जिससे कतिपय स्थानों पर सड़कें सिकुड़ जाती हैं, नतीजतन यह ट्रैफिक जाम का सबसे बड़ा कारण बनता है।
हालांकि इस प्राधिकरण को गठित करने से सरकार को लगता है कि सड़क, विद्युत व सीवरेज आदि के चलते सड़कों पर होने वाले अतिक्रमण से मुक्ति मिल जाएगी, किन्तु इस वर्ष जिस तरह से वाहनों का सैलाब का रुख पहाड़ों की ओर हुआ, उससे इस बात की उम्मीद कम ही है कि ऐसा कोई प्राधिकरण व उसे प्रदत्त अधिकार बहुत कारगर होंगे। सिर्फ दो-तीन शहरों में प्राधिकरण के अधीन परिवहन व्यवस्था को दिए जाने भर से परमानेंट सलूशन की संभावनाएं बहुत ज्यादा नहीं हैं।
सरकार को चारधाम के साथ ही नैनीताल, कैंची धाम, लैन्सडाउन जैसे डेस्टिनेशंस जहां लगातार वर्ष दर वर्ष पर्यटकों की भीड़ बढ़ती जा रही है वहां की ट्रैफिक व्यवस्थाओं हेतु भी अभी से कारगर योजना बनानी शुरू करनी होगी। अन्यथा इस सीजन में पर्यटक व श्रद्धालु हरिद्वार,

सांस्कृतिक व सामाजिक सरोकारों की प्रतिनिधि पत्रिका

ऋषिकेश व देहरादून से ट्रैफिक को लेकर जिस प्रकार के कटु अनुभव लेकर लौटे हैं भविष्य में ऐसे ही कटु अनुभवों का सामना समूचे उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों में भी हो सकता है।

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