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मुन्ना भाईयों को खूब नौकरी मिल रही उत्तराखंड के सरकारी महकमों में

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देहरादून।

उत्तराखंड का कोई विभाग अब ऐसा नहीं बचा जो नियुक्तियों के मामले में विवाद में न आया हो। अब पेयजल निगम प्रबंधन ने उत्तराखंड में गलत तरीके से आरक्षण का फ़ायदा उठा कर नौकरी में आने वाले चार अधिशासी अभियंताओं की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इनमें से तीन की भर्ती वर्ष 2005 और एक की भर्ती वर्ष 2007 में हुई थी। वर्ष 2005 में भर्ती हुए अधिशासी अभियंता सुमित आनंद और मुनीष करारा दूसरे राज्य के निवासी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड में गलत तरीक़े से अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ हासिल कर लिया था। इसी आधार पर नौकरी मिली।

इसी प्रकार, वर्ष 2005 बैच के मुजम्मिल हसन भी यूपी निवासी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड में ओबीसी आरक्षण का लाभ लिया और नौकरी हासिल की।जबकि, दूसरे राज्यों के सभी श्रेणियों के आवेदक, उत्तराखंड में सामान्य वर्ग के तहत ही एंट्री पा सकते थे।

वर्ष 2007 में भर्ती हुई सरिता गुप्ता ने बाहरी राज्य की निवासी होने के बाद भी उत्तराखंड महिला वर्ग का आरक्षण लाभ लिया। इनकी जांच के बाद कार्रवाई पर सलाह के लिए पेयजल निगम प्रबंधन ने फाइल कार्मिक को भेजी थी। कार्मिक के निर्देशों के तहत चारों आरोपी इंजीनियरों को पक्ष रखने का मौका दिया गया।

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हालांकि, संतोषजनक जवाब न मिलने पर चारों की सेवाएं समाप्त की गईं। पेयजल निगम के एमडी रणवीर सिंह चौहान ने बताया, परीक्षण और सुनवाई का मौका देने के बाद सेवाएं समाप्त की गई हैं।
बड़ा सवाल यह है कि भर्ती करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी ये अभी पता नहीं है, कहा जा रहा है कि वे चार साल पहले ही सेवानिवृत्त हो चुके है।

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