#पौड़ी

अन्य दरख्तों के दुश्मन चीड़ को ग्रामीणों का दोस्त बनाने की अनूठी पहल

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अजय रावत अजेय, पौड़ी

■पाइन सीड से विभिन्न उत्पाद तैयार करने की योजना■
■ग्रामीणों से 500 रुपये प्रति किग्रा की दर से बीज खरीदेगा रीप प्रोजेक्ट■
■बिलखेत में 22 लाख की लागत से स्थापित होगा प्लांट■

पाइन यानी चीड़ का जब भी जिक्र होता है तो पहाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ रहे इसके दुष्प्रभाव की भी बात होती है। पहाड़ के जंगलों में चीड़ के बढ़ते रकबे के चलते न केवल अन्य स्पीसीज़ के प्रसार में अवरोध उत्पन्न होता है बल्कि इसके फल के कारण ग्रीष्मकाल में दावानल के प्रसार में भी इजाफ़ा भी होता है। लेकिन अब जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ आशीष चौहान के निर्देशन में पाइन सीड को ग्रामीणों के आर्थिक संवर्धन का जरिया बनाने की अभिनव पहल की गई। यदि यह योजना परवान चढ़ी तो चीड़ के लगातार बढ़ते रकबे पर स्वतः लगाम तो लगेगी ही साथ ही पाइन फ्रूट से फैलने वाली वनाग्नि की घटनाओं में भी कमी आएगी। सबसे अहम यह कि इसके उत्पादों के जरिए ग्रामीण आजीविका के नए रास्ते भी खुलेंगे।

●बहुउपयोगी होता है चीड़ का बीज●

चीड़ के फल से निकलने वाला बीज एक प्रकार से नट्स फ्रूट होता है। हिमांचल और जम्मू कश्मीर में पाई जाने वाली चीड़ की प्रजाति से निकलने वाले सीड को चिलगोजा कहा जाता है, जो एक बेहद लोकप्रिय नट फ्रूट है। रीप परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर कुलदीप बिष्ट ने बताया कि हालांकि उत्तराखंड में पाए जाने वाले चीड़ का बीज चिलगोजा से थोड़ा भिन्न होता है, लेकिन पुराने समय से ही इसे ग्रामीण नट फ्रूट के रूप में इसका सेवन करते आये हैं। इस बीज को पाइन सीड के रूप में मार्किट में लॉन्च किया जाएगा। इस सीड की दुनिया भर में बड़ी मांग है।

●वन पंचायत व स्वयं सहायता समूह करेंगे बीज का संग्रहण●

जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान के निर्देशन में रीप प्रोजेक्ट द्वारा तैयार की गई योजना के तहत चीड़ के वृक्षों से गिरे पाइन फ्रूट को स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं द्वारा एकत्र कर सीड निकाला जाएगा, जिसे परियोजना द्वारा 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। जिसके बाद इस सीड को नट फ्रूट के रूप में मार्किट में उतारने के लिए प्रोसेसिंग व पैकेजिंग प्लांट में ले जाया जाएगा। इसके लिए योजना के तहत 22 लाख की मदद से एक प्लांट बिलखेत गांव में स्थापित किया जा रहा है। यहां पाइन सीड को पैक करने के साथ इसका आयल भी निकाला जागेगा। प्रोजेक्ट मैनेजर कुलदीप बिष्ट यह भी जोड़ते हैं कि आयल एक्सट्रेक्ट करने के बाद बचे बीजों के अवशेष को भी सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद में उपयोग करने की संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है। परियोजना का उद्देश्य है कि पाइन सीड के सम्पूर्ण उपयोग का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एक किलो पाइन सीड से 500 मिली से अधिक तेल हासिल किया जा सकता है। यह तेल न केवल कॉस्मेटिक व फार्मा में उपयोग किया जा सकता है बल्कि यह एक खाने योग्य इडिबल आयल भी है। बाजार में यह तेल दस हजार रुपये प्रति लीटर की दर से आसानी से बिक जाता है।

●बहुउद्देश्यीय है पाइन सीड परियोजना: डीएम●

इस अभिनव पहल के सूत्रधार डीएम गढ़वाल डॉ आशीष चौहान का कहना है कि मध्य हिमालय के अरण्यों में चीड़ प्रजाति के वृक्षों की बढ़ती घुसपैठ बायो-डाइवर्सिटी के पैरामीटर्स के लिए भी किसी खतरे से कम नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि पाइन ट्री के जंगलों के बढ़ते रकबे पर नियंत्रण लगाया जाए। रीप प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई योजना के तहत जंगल की आग बढ़ाने में सहायक होने वाले पाइन फ्रूट को ग्रामीणों की आर्थिकी से जोड़ दिया जाएगा। जब पाइन फ्रूट को जंगल से हटा दिया जाएगा तो स्वाभाविक रूप से जंगलों में दावानल फैलाव पर रोक लग जायेगी। डीएम बताते हैं कि उनके द्वारा जिले के कल्जीखाल विखं के पाली गांव जाकर पाइन सीड के संग्रहण के बाबत जानकारी ली गई, ग्रामीण महिलाएं इस योजना को लेकर उत्साहित हैं। कल्जीखाल के बिलखेत गांव में जल्द प्रॉसेसिंग प्लांट एस्टेब्लिश कर पाइन नट फ्रूट व पाइन सीड आयल का विपणन शुरू कर दिया जाएगा। यदि इसकी बेहतर ब्रांडिंग की जाए तो ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिये ही आसानी से तैयार प्रोडक्ट को इंटरनेशनल मार्किट के अनुरूप प्रचलित दरों पर आसानी से बेचा जा सकेगा।

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