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2024-..तो क्या ब्राह्मण के मुकाबिल ब्राह्मण होगा गढ़वाल के मैदान-ए-जंग में

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अजय रावत अजेय
■कांग्रेस की प्राथमिकता में गणेश गोदियाल की चर्चा
■मनीष खंडूरी का भगवा ध्वज थामने के कयास
■ब्राह्मण गोदियाल के सामने ब्राह्मण बलूनी को खड़ा कर सकती है बीजेपी
■बलूनी का राज्यसभा कंटिन्यू न करने के पीछे भी अनेक निहितार्थ

जैसे जैसे आम चुनाव की घड़ी निकट आ रही है संभावित प्रत्याशियों के नामों को लेकर भाजपा व कांग्रेस में चयन प्रक्रिया की एक्सरसाइज तेज हो गयी है, वहीं लोकसभा में पंहुचने की हसरत पाले नेताओं ने भी अपनी गोटियां बिछाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के सियासी दृष्टि से सबसे अहम गढ़वाल(पौड़ी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में जहां कांग्रेस भाजपा को चित्त करने के लिए ठोक बजाकर प्रत्याशी चयन करना चाहती है ,वहीं भाजपा मौजूदा सांसद तीरथ सिंह रावत को अन्य दायित्व में पुनर्वासित कर नए चेहरे को आजमाने के विकल्प पर भी काम करती हुई दिखाई दे रही है। दरअसल, कांग्रेस का फोकस गणेश गोदियाल की तरफ केंद्रित होता नजर आ रहा है ऐसे में भाजपा भी गढ़वाल के रण क्षेत्र में किसी महारथी को उतार सकती है, जिसमें हाल ही में राज्यसभा के कार्यकाल पूरा कर चुके अनिल बलूनी सबसे आगे खड़े नजर आते हैं।

कांग्रेस खेमे की चाल से ही तय होगा भाजपा का चेहरा
कांग्रेस खेमे से निकल कर आ रही खबरों से साफ है कि पार्टी अब गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में मनीष खंडूरी के बजाय गणेश गोदियाल को तवज़्ज़ो देने जा रही है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि मनीष खंडूरी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि मनीष भाजपा का दामन थाम सकते हैं। वहीं खण्डूरी के पिता मेज बीसी खंडूरी भाजपा के एक मजबूत स्तम्भ रहे है और उनकी बहन ऋतु खंडूरी वर्तमान भाजपा नीत सरकार के कार्यकाल में विस् अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रही हैं। यदि कांग्रेस इसी राह को चुनती है तो बहुत सम्भव है भाजपा भी गढ़वाल में ब्राह्मण कार्ड खेल सकती है।

बलूनी के अलावा डोभाल व जुयाल भी सक्रिय
हाल ही में राज्यसभा के कार्यकाल पूरा करने के बाद जिस तरह से अनिल बलूनी उत्तराखंड में सक्रिय हुए हैं, उसके अनेक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। बलूनी ने अपने टेनयूर के अंतिम दिनों में मण्डल मुख्यालय पौड़ी में माउंटेन म्यूजियम व तारामंडल बनाने को जिस तरह से अपनी सांसद निधि से भारी भरकम 15 करोड़ की राशि निर्गत ही नहीं किया बल्कि व्यक्तिगत प्रयास कर इस हेतु जरूरी भूमि को भी वन विभाग से हस्तांतरित भी किया। वहीं बलूनी गढ़वाल जिले के सबसे बड़े नगर क्षेत्र कोटद्वार को लेकर भी लगातार सक्रिय रहे हैं। गढ़वाल लोकसभा के अधीन आने वाले रामनगर के प्रति भी बलूनी पहले से ही गंभीर रहे हैं। पूर्व के कोटद्वार विस् के वोटर अनिल बलूनी अब डांडा नागराजा क्षेत्र में अपने पैतृक गांव के वोटर भी बन गए हैं। दिल्ली हाई कमान में सहज संवाद रखने वाले बलूनी यदि ठान लें तो गढ़वाल से टिकट लेने के लिए उन्हें ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। ब्राह्मण कार्ड के तहत भाजपा खेमे में एनएसए अजीत डोभाल के पुत्र शौर्य डोभाल भी एक विकल्प है, मोदी सरकार में अजित डोभाल की अहमियत इतनी है कि वह अपने पुत्र की मजबूत पैरवी आसानी से कर सकते हैं। वहीं दिल्ली में लंबे समय से सक्रिय रहे वरिष्ठ नेता वीरेंद्र जुयाल भी पिछले 3 दशक से लोकसभा में गढ़वाल का प्रतिनिधित्व करने का मौका देने की गुहार हाइकमान से लगाते रहे हैं। वह लगातार पौड़ी के गगवाड़स्यूँ स्थित अपने पैतृक गांव में ही डेरा भी जमाये हुए हैं। हालांकि नरेंद्र मोदी ने उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड में निदेशक का दायित्व सौंपा है किंतु ब्राह्मण कार्ड के तहत वह भी एक विकल्प हो सकते हैं। यदि मनीष भाजपा का दामन थामते हैं तो वह भी पार्टी के लिए एक विकल्प हो सकते हैं।

अनुशासित तीरथ से अधिक दिक्कत नहीं बीजेपी आलाकमान को
हालांकि आंकड़ों, सक्रियता, जनसंवाद व अन्य मानकों की बात की जाय तो तीरथ सिंह रावत एक सफल सांसद साबित हुए हैं। 2022 के विस् चुनावों में तीरथ ने सर्वाधिक 93 फ़ीसद रिजल्ट दिया है। बीते एक साल में ऐसा कोई सप्ताह नहीं जब वह दिल्ली छोड़ अपने संसदीय क्षेत्र में जनसंपर्क को न निकले हों। किन्तु यदि कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड के मुक़ाबिल भाजपा तीरथ के लिए लोकसभा के अतिरिक्त अन्य कोई ठौर तय करती है तो पार्टी के बेहद अनुशासित सिपाई तीरथ इस फरमान को सहर्ष स्वीकार करने का धैर्य व साहस भी रखते हैं, यही वजह थी कि उन्हें अप्रत्याशित रूप से एक मर्तबा उत्तराखंड की कमान भी सौंप दी गयी थी।

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