भाजपा के जयघोष के काल में खामोशी से विदा हो गया भाजपा की पहली पांत का सिपाही
■पूर्व मंत्री व भाजपा के संस्थापक सदस्य थे मोहन सिंह गांववासी
■ देहरादून के कैलाश अस्पताल में ली आखिरी सांस
हिम तुंग वाणी, पौड़ी
जनसंघ व भाजपा के पौधे को तत्कालीन अविभाजित उप्र के पहाड़ी जिलों में सींचने वाले डॉ मोहन सिंह गांववासी का निधन हो गया है। उन्होंने देहरादून के कैलाश अस्पताल में आखिरी सांस ली।
उत्तराखंड में अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गांववासी ने वर्ष 2002 के पहले विस चुनाव में चुनाव लड़ने से स्वेच्छा से इनकार कर दिया। जिसके बाद उनके सियासी करियर पर गुमनामी के बादल मंडराने लगे। अन्यथा गांववासी उस दौर में उत्तराखंड में भाजपा के सीनियरमोस्ट लीडर्स की लिस्ट में शामिल थे।
उसके पश्चात जनसंघ और भाजपा की एबीसीडी तक न जानने वाले अनेक नेता भाजपा की लहर का फायदा उठा कर सत्ता के शीर्ष तक जा पंहुचे, लेकिन गांववासी लगातार गुमनामी के अंधेरे में गुम होते रहे।
बीते 2 वर्षों से स्वास्थ्य खराब होने के चलते वह इलाज की खातिर अपना गृहनगर पौड़ी छोड़ देहरादून निवास करने लगे थे। आखिर शुक्रवार को उन्होंने इस दुनिया से विदा ले ली।
आज भाजपा अपने स्वर्णिम काल में है, चारों ओर भाजपा के जयघोष के नारों का शोर है और इसी शोर के दरमियान गांववासी इस दुनिया से बेहद खामोशी से रुखसत हो गए। भाजपा व जनसंघ की पहाड़ में आम जन के बीच स्वीकार्यता बढ़ाने में अपना जीवन खपाने वाले अनेक अन्य वरिष्ठ नेता भी गुमनामी के अंधेरे में ओझल हो चुके हैं।
“जो दर-ओ-बां की जीनत हैं, आप उनसे मिलिए
मैं बुनियाद का पत्थर हूँ नजर क्या आऊंगा”