#नैनीताल

जनप्रतिनिधियों की कुंडली खंगालेगा न्यायालय

Share Now

हिम तुंग वाणी

नैनीताल।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट भी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के आपराधिक इतिहास के मामले में सख़्त हो चला है। अब उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से प्रदेश के सांसदों और विधायकों के आपराधिक इतिहास की जानकारी तलब की है। न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार बताये की राज्य के कितने सांसदों-विधायकों पर कितने आपराधिक मुकद्दमें है दो सप्ताह में बताए। सांसदों-विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय से जारी दिशा-निर्देशों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों और इनमें से विचाराधीन मुकदमों की जानकारी दो सप्ताह में तलब की है। कोर्ट ने पहले भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर संज्ञान लिया था, लेकिन अभी तक सरकार ने विधायकों और सांसदों के खिलाफ विचाराधीन केसों की सूची कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई है।सांसदों-विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय से जारी दिशा-निर्देशों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
मामले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे कि उनके वहां सांसदों व विधायकों के खिलाफ जितने भी मुकदमे विचाराधीन हैं उनकी त्वरित सुनवाई कराएं। कहा गया था कि राज्य सरकार आईपीसी की धारा 321 का गलत उपयोग कर अपने सांसदों व विधायकों के मुकदमे वापस ले रही है। जैसे मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी साध्वी प्राची, संगीत सोम व सुरेश राणा का केस उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस लिया।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *