बदस्तूर जारी है डॉ धन सिंह की ताबड़तोड़ बैटिंग
■घोषणा, शिलान्यास व लोकार्पण का सिलसिला जारी
■अपनी विस में लगातार सक्रिय हैं धन सिंह
■संघ और भाजपा में गहरी पैठ रखते हैं धन सिंह
अजय रावत अजेय
सूबे के वरिष्ठ कबीना मंत्री डॉ धन सिंह रावत बीते एक माह से ताबड़तोड़ बैटिंग करते नजर आ रहे हैं। 3 नवम्बर को शासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया जिसमें जिलों की योजनाओं के शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रमों को संयुक्त रूप से करने और इस कार्यक्रम में सीएम, विभागीय मंत्री व स्थानीय विधायक की अनिवार्य उपस्थिति अपेक्षित की गई थी। किन्तु संघ और भाजपा के कद्दावर नेता डॉ रावत ने राजस्थान चुनाव प्रचार अभियान से लौटते ही अपने विस् क्षेत्र में करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण कर एक तरह से इस आदेश को चुनौती दी।
सिलसिला यहीं नहीं रुका, डॉ0 धन सिंह रावत लगातार अपने क्षेत्र में प्रवास कर हर दिन नई घोषणा, शिलान्यास व लोकार्पण का अभियान जारी रखे हुए हैं। बुधवार को भी उन्होंने विधानसभा श्रीनगर क्षेत्र भ्रमण के दौरान विभिन्न विकास कार्यो का लोकार्पण व शिलान्यास किया।
मंत्री ने भ्रमण के पहले दिन विकासखंड पाबौ के अंतर्गत ग्वाडीगाड प्राथमिक विद्यालय का सौंदर्यीकरण व मरम्मत कार्य का शिलान्यास किया। साथ ही उन्होंने ग्वाडीगाड में मछली तालाब का निरीक्षण भी किया।
उन्होंने 70.79 लाख की लागत से राजकीय पॉलिटेक्निक चौपडियूं के भवन तक जाने वाले मार्ग का लोकार्पण किया। इसके बाद उन्होंने कोटली गांव में पार्क निर्माण कार्य का शिलान्यास भी किया। वहीं मा0 मंत्री ने खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पाबौ भवन का मरम्मत व सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास किया। उन्होंने सिमखेत में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन भी वितरित किये।
इससे पूर्व डॉ धन सिंह द्वारा श्रीनगर शहर के विकास हेतु अनेक महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा भी की, हालांकि माना जा रहा है कि डॉ धन सिंह की नजर नव सृजित नगर निगम श्रीनगर के पहले मेयर पद पर भी है, जिसके जरिये वह अपनी पत्नी की सियासत में एंट्री कराना चाहते हैं।
बहरहाल, इसमें दो राय नहीं कि डॉ धन सिंह बीते कुछ दिनों से पूरी तरह से फॉर्म में नज़र आ रहे हैं। अपनी ताबड़तोड़ बैटिंग के दौरान वह सीएम सचिवालय से जारी आदेश को भी सीमा पार भेजने में नहीं कतरा रहे हैं। हालांकि संघ के खांटी कार्यकर्ता व भाजपा के राष्ट्रीय संगठन में गहरी पैंठ रखने वाले धन दा के समक्ष ऐसे किसी आदेश को मानने की बाध्यता ज्यादा मायने नहीं रखती।