#अल्मोड़ा #उत्तराखण्ड

…तो क्या क्रश बैरियर लगाने के लिए 38 मौतों का इंतज़ार था लोनिवि को..!

Share Now

हिमतुंग वाणी

मरचूला हादसे के दो दिन बाद ही लोनिवि के प्रथम वृत अल्मोड़ा द्वारा स्टेट हाईवे 32 अर्थात मरचूला-थलीसैंण-सतपुली-कांसखेत-पौड़ी के मरचूला व थलीसैंण के मध्य कुछ जोखिम वाले हिस्सों पर क्रश बैरियर व पैराफिट बनाने की टेक्निकल बिड खोल दी गयी। उधर शासन ने यह पता लगाने के लिए क़ि आखिर इस जोखिम भरे चैनेज पर क्रश बैरियर क्यों नहीं लगाए गए, के लिए अपर सचिव धीराज गर्ब्याल की अध्यक्षता में एक समिति गठित भी कर दी है। किंतु बताया जा रहा है कि इसी वर्ष मार्च माह में इस मार्ग पर क्रश बैरियर लगाने के लिए शासन से स्वीकृति मिल चुकी थी।
सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्या कारण थे कि स्वीकृति के बावजूद लोनिवि का अल्मोड़ा वृत व रानीखेत डिवीज़न इस कार्य की टेंडर प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाया। यदि शासन से स्वीकृत हुए इस कार्य को समय पर पूरा कर लिया जाता तो संभव था कि 4 नवम्बर को दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में इतनी जनहानि न होती अथवा बस क्रश बैरियर के चलते खाई में गिरने से बच जाती, क्या लोनिवि को किसी भीषण हादसे का इंतज़ार था।
इस बीच लोनिवि के प्रथम वृत अल्मोड़ा द्वारा इस कार्य हेतु 13 सितम्बर को ऑनलाइन निविदा आमंत्रित कर अक्टूबर माह की 25 तारीख को निविदा खोली गई। वहीं 6 नवम्बर को इसकी टेक्निकल बिड भी खोल दी गयी। दरअसल इस कार्य में लगातार देरी की जा रही थी। यदि यह देरी अधीक्षण अथवा अधिशासी अभियंता स्तर पर की जा रही थी तो जाहिर तौर पर यह अधिकारी ही 38 मासूम यात्रियों की मौत के जिम्मेदार हैं। हालांकि यह भी चर्चा है कि इस कार्य की निविदा प्रक्रिया शासन सत्ता पर पकड़ रखने वाले कुछ प्रभावशाली लोगों की जिद के कारण मुकम्मल नहीं हो पाई थी। यदि यह आशंका सत्य है तो शासन स्तर पर गठित जांच समिति से भी अधिक उम्मीद करना बेमानी साबित होगा। यह जांच कमेटी भी एक तरह से जनाक्रोश की ज्वाला को कम करने भर की सरकारी एक्सरसाइज साबित होगी।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *