02-गढ़वाल: उत्तराखंड की सबसे हॉट सीट बनी, लेकिन अभी नतीजे पर जाना होगा जल्दबाज़ी
अजय रावत अजेय (संपादक)
जहां प्रदेश के तमाम कांग्रेसी दिग्गज चुनाव मैदान से मुंह मोड़ते रहे ,वहीं पूर्व विधायक व पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने आख़िरकार गढ़वाल के सियासी मैदान-ए जंग की चुनौती को स्वीकार कर ही दिया। हालांकि नामांकन के रोज तक उन्हें भाजपाई दिग्गज अनिल बलूनी के समक्ष काफी कमजोर माना जा रहा था, लेकिन नामांकन के दिन उनके द्वारा पौड़ी के रामलीला मैदान में जो विशाल जनसभा आयोजित की गई, उसने न केवल भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी बल्कि भाजपा की प्रांतीय व राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पेशानी पर भी बल डाल ही दिए। हालांकि, जनसभा का साइज चुनाव जीतने का कोई पुख्ता पैरामीटर नहीं हो सकता, इस जन समूह को वोट में तब्दील कर ही चुनाव में फतह हासिल की जा सकती है। हालांकि इस जनसभा ने गोदियाल को बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त दे दी हो लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि गढ़वाल लोकसभा में बदलाव हो सकेगा। निष्कर्ष से पहले अनेक पहलुओं का विश्लेषण अनिवार्य हो जाता है।
●पोलिंग बूथ तक इस टेम्पो का बरकरार रहना जरूरी●
इतना तो बिना किसी सन्देह के कहा जा सकता है कि यदि आज की तारीख में मतदान हो जाये तो गणेश गोदियाल भाजपा को एक कड़े मुकाबले में जूझने को मजबूर कर सकते हैं। लेकिन अभी मतदान को करीब 20 दिन शेष हैं। इन 20 दिनों की अवधि में इस टेम्पो को बरकरार रखने के लिए न केवल बड़े पैमाने पर संसाधनों की दरकार होगी, बल्कि एक अनुशासित संगठन की आवश्यकता भी होगी। ज़ाहिर है गोदियाल के लिए उमड़े जन सैलाब के बाद भाजपा के चुनावी मैनेजर्स चौकन्ने हो गए हैं। उनकी रणनीति में भी तब्दीली लाजिमी है। यदि कांग्रेस कार्यकर्ता ईमानदारी के साथ गोदियाल के भावनात्मक मेसेज को आम वोटर तक ले जाने में सफल होते हैं तो भाजपा के अतिआत्मविश्वास की खुमारी उतरने में देर नहीं लगेगी।
●अगले 15 दिन होंगे बेहद अहम●
आने वाले दो सप्ताह में चुनाव प्रचार अभियान अपने चरम पर होगा। ज़ाहिर है चिंतित भाजपा अपने तमाम दिव्यास्त्र इस दौरान उपयोग में लाना चाहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वोट मांगने आ सकते हैं, वहीं पन्ना प्रमुख तक के पदाधिकारियों के पेंच भी कसे जाएंगे। निःसंदेह भाजपा को इसका फायदा भी मिलेगा। वहीं गणेश गोदियाल को अपने भावनात्मक संदेश को आम जन तक भेजना होगा। गणेश गोदियाल ने स्वयं अपने संबोधन में कहा कि मेरी स्टार प्रचारक मेरी जनता ही है। यानी कि यदि गणेश गोदियाल के स्टार प्रचारक उनके संदेश को वोटर्स तक ले जाने में कामयाब रहे तो चमत्कार भी असंभव नहीं है।
●आंकड़ों का गणित फ़िलवक्त भाजपा के पक्ष में●
यदि 2019 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस भाजपा से 3 लाख 15 हज़ार वोट से पीछे रही थी। यानी कि नतीजे को बदलने के लिए कांग्रेस को पिछले आम चुनाव वाले भाजपा के कम से कम 1 लाख 60 हज़ार वोटर्स को अपने पक्ष में करना होगा, जो एक असम्भव नहीं लेकिन कठिन टारगेट अवश्य है। वहीं कुल मतदाताओं का 50 फीसद से अधिक हिस्सा जो कि महिला मतदाता हैं, पर अभी भी मोदी मैजिक का असर किसी हद तक बरकरार है। जहाँ भाजपा की रैली में 75 फी
सद से अधिक हिस्सेदारी महिलाओं की थी, वहीं गोदियाल की सभा में महिलाओं की हिस्सेदारी 30 फीसद से अधिक नहीं थी। महिलाओं का यह आंकड़ा भाजपा को गोदियाल के मुकाबले 21 साबित करता है।