#उत्तराखण्ड

….तो क्या सबसे पहले मोदी करेंगे मजदूरों का इस्तेकबाल व आलिंगन..!

Share Now

अनिल बहुगुणा अनिल (हिम तुंग वाणी)

41 मजदूरों को अंधेरी सुरंग के अंदर कैद हुए पूरे 14 दिन होने को हैं। एक पल आशा जागती है कि अब जल्द ही तमाम मजदूर सुरक्षित खुली हवा में होंगे कि तभी दूसरे पल कोई अड़चन निराशा भर देती है। तमाम देश वासी बेचैन हैं, तो ऐसे में उन मजदूरों की मनःस्थिति को समझा जा सकता है कि वह किस मानसिक स्थिति से गुजर रहे होंगे। इधर सूत्रों पर यकीन करें तो जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौके पर सिलक्यारा पंहुच सकते हैं।
एक तरफ मुख्यमंत्री धामी मातलि में बैठकर ही तमाम सरकारी कार्य निबटा रहे हैं और अब प्रधानमंत्री के आने की सूचना तैर रही है। जिस रोज शाम को ही मुख्यमंत्री धामी सिलक्यारा रवाना हुए थे तो उस समय लगा कि अब मजदूर तकरीबन बाहर निकाले जाने वाले होंगे, ताकि एक नई जिंदगी में उनका स्वागत स्वयं सूबे के मुख्यमंत्री करेंगे। किन्तु इस बीच एक लोहे के गाटर ने ऑगर मशीन की राह रोक दी और तब से मुख्यमंत्री मौके पर ही डटे हुए हैं।
लेकिन अब जबकि देश के प्रधानमंत्री के मौके पर पंहुचने की सूचना है तो जाहिर सी बात है बचाव एजेंसीज प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को तभी हरी झंडी देंगे, जब सौ फ़ीसदी यह तय हो जाएगा कि अब मजदूर महफूज़ तरीके से एक नई जिंदगी पाकर खुले आसमान के नीचे आ सकेंगे।
इसमें कोई दो राय नहीं कि केंद्र सरकार ने थोड़ा विलम्ब से ही सही किन्तु इन 41 जिंदगियों को बचाने के लिए एक बड़ा आपरेशन चलाया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों व उपकरणों को भी त्वरित गति से मौके पर मंगवाया गया, ऐसे में यदि सब कुछ ठीक रहा तो प्रधानमंत्री चाहेंगे कि जब मजदूर उस अंधेरी सुरंग से बाहर निकलें तो सबसे पहले देश का प्रधानसेवक उन्हें आलिंगन करे। लोकतांत्रिक सियासत में सियासतदानों की इस तरह की इच्छाएं स्वाभाविक ही होती हैं।
लब्बोलुआब यह कि जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी का सिल्क्यरा का आधिकारिक कार्यक्रम जारी होगा , तो स्वाभाविक तौर पर समझा जाना चाहिए कि अब वह घड़ी आने वाली है जब सभी फंसे हुए श्रमिक एक पुनर्जन्म के साथ नीले गगन के तले सांस लेते हुए हमारे बीच होंगे।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *