पौड़ी: गौरा देवी के संघर्षमय जीवन पर आधारित नाटक का हुआ मंचन

पौड़ी।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार तथा संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से संवाद आर्ट ग्रुप द्वारा पौड़ी में नाटय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के समापन पर राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय
नम्बर 5 में गौरा देवी के संघर्ष शाली जीवन पर आधारित गढ़वाली लोक नाटक चिपको का मंचन किया गया। जिसमें बताया गया कि गौरा का जन्म 1925 में चमोली जिले के लता गांव हुआ था उसका विवाह 12 वर्ष की आयु में रैणी गांव में हो जाता है, और 22 वर्ष में ही उसके पति का देहांत हो जाता है, एक दिन गौरा देवी के रैणी गांव में कुछ ठेकेदार बरेली से आते है जिन्हें रोड बनाने के लिए पेड़ काटने का ठेका मिला होता है, गांव का सरपंच उन ठेकेदारों से मिला हुआ होता है और गांव वालों को पेड़ काटे जाने का विरोध ना करने के लिए कहता है और गौरा उसे धमकी देके चली जाती है। अगले दिन ठेकेदार अपने मजदूरों के साथ जंगल में पेड़ काटने चले जाता है उसके बाद गौरा और सभी गांव वाले जंगल में आते है, गौरा और ठेकेदार के बीच भयानक झड़प होती है, गौरा पेड़ों से चिपक जाती है और कहती है कि हमारे पेड़ों को काटने से पहले मुझे काट डालो।
इस घटना का असर ये हुआ कि देश विदेश के अखबारों में इसके बारे में खूब छपा। गौरा देवी के विरोध का ये एक नायाब तरीका निकला और उन्हें चिपको वूमेन कहा जाने लगा। ये आंदोलन चंडी प्रसाद भट्ट और सुंदर लाल बहुगुणा की अगुवाई में बड़े आंदोलन के रूप में चला तथा दुनिया भर में विरोध करने का चिपको तरीका निकला।
नाटक में मुख्य भूमिका गौरा देवी का पत्र निकिता नेगी ने निभाया,
मजदूर की भूमिका में शंकर राणा तथा सूत्रधार, ठेकेदार व ग्रामीण की भूमिका मे सुधांशु नौड़ियाल ने अपनी छाप छोड़ी।
अन्य भूमिकाओं में प्राची, सोनिका वेदवाल, तनु प्रिय सुंदरियाल ने सबको प्रभावित किया।
नाटक का निर्देशन अनूप गोंसाई तथा सह निर्देशन सुधांशु नौड़ियाल ने किया। संगीत शुभम बिष्ट ने दिया।