पौड़ी: भाजपा को बागियों से भी बड़ी चोट दे सकती हिमानी, कांग्रेसी खेमें में भी सेंधमारी

हिमतुंग वाणी स्पेशल
अजय रावत अजेय

हालांकि पौड़ी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के रण में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोक रही हिमानी नेगी आधिकारिक रूप से भाजपा की बागी उम्मीदवार तो नहीं है, किंतु पार्टी से बगावत कर मैदान में उतरी भाजपा की अन्य तीन बागी नेत्रियों के मुकाबले वह भाजपा पर बड़ा डेंट लगाती नजर आ रही हैं। दरअसल नगर के बड़े कारोबारी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केशर सिंह नेगी की पत्नी हिमानी नेगी के मैदान में उतरने से केशर नेगी व उनके तमाम समर्थक, जो बीते लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए थे, अब नपा चुनाव में हिमानी नेगी के प्रचार अभियान में शिद्दत से जुटे हुए नजर आ रहे हैं, जो भाजपा के रणनीतिकारों के माथे पर शिकन पैदा करने के लिए काफी है।
उल्लेखनीय है कि जब भाजपा की स्थानीय इकाई द्वारा नपा अध्यक्ष पौड़ी के अध्यक्ष पद पर पार्टी के दावेदारों के आवेदन के आधार सूची राज्य इकाई को भेजी गई थी, तो उसमें हिमानी नेगी का नाम शामिल नहीं था। दरअसल, हिमानी आधिकारिक रूप से भाजपा से दावेदार थी ही नहीं, ऐसे में वह वर्तमान में भी आधिकारिक तौर पर भाजपा की बागी उम्मीदवार नहीं मानी जा सकती। किंतु हिमानी के पति केशर सिंह नेगी जिले में भाजपा के एक कद्दावर नेता माने जाते हैं। मनीष खंडूरी के करीबी केशर ने जब मनीष के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा तो कांग्रेस ने उन्हें चौबट्टाखाल से सतपाल महाराज के खिलाफ विस चुनाव में भी भाग्य आजमाने का मौका दिया था, हालांकि वह महाराज के अभेद्य किले में सेंधमारी करने में विफल रहे।
इस बीच लोकसभा चुनाव के दौरान केशर सिंह नेगी ने घर वापसी करते हुए पार्टी प्रत्याशी अनिल बलूनी के चुनाव प्रचार में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। उनके समर्थकों में शामिल पौड़ी नगर के अनेक प्रभावशाली लोगों ने भी लोस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी के लिए कार्य किया था। अब हिमानी नेगी के नगर पालिका अध्यक्ष पद हेतु मैदान में उतरने के बाद न केवल केशर सिंह नेगी बल्कि उनके अनेक समर्थक भाजपा के बजाय हिमानी नेगी के पक्ष में लामबंद होते नजर आ रहे हैं।
खर्चीली चुनावी राजनीति के इस दौर में संसाधनों व समर्थकों से लैस हिमानी नेगी न केवल भाजपा के लिए चुनौती पेश कर रही हैं, बल्कि कांग्रेस के लिए भी यह चिंता का सबब हो सकता है। भले ही कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता हो कि हिमानी नेगी भाजपा को ही नुकसान पंहुचाएँगी, किंतु यह सिर्फ किताबी आंकड़ा है। दरअसल स्थानीय निकाय के चुनाव में दलगत निष्ठाएं की अहमियत ज्यादा नहीं होती, मतदाता स्थानीय मुद्दों, आपसी सम्बन्धों को अधिक तरजीह देते हैं। ऐसे में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि हिमानी नेगी कांग्रेस के वोट बैंक पर भी अच्छी खासी सेंधमारी कर सकती हैं। महज़ 15 हजार मतदाताओं वाली इस पालिका सीट पर मजबूत निर्दलीय राष्ट्रीय दलों के साथ त्रिकोण बनाने की स्थिति में आ जाये तो हैरानी न होगी।