सतपुली: बैराज़ निर्माण में निकल रहे उपखनिज के खुर्द- बुर्द होने का अंदेशा

सतपुली॥ हिमतुंग वाणी स्पेशल
सतपुली में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा प्रदत्त करीब 55 करोड़ रुपये की मदद से निर्माणाधीन जलाशय हेतु सिंचाई विभाग से सम्बद्ध निर्माण कम्पनी द्वारा युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है। किंतु जलाशय निर्माण हेतु बनाई जा रही फाउंडेशन से निकल रहे उपखनिज को लेकर शिकायतें मिलने लगी हैं। हालांकि खनन विभाग की मध्यस्थता में सिचाई विभाग व एक स्टोन क्रशर के मध्य हुए एक करार के तहत इस उपखनिज के निस्तारण व उपयोग की बात कही जा रही है, किंतु यही करार तमाम विवाद का सबब बन रहा है। इस बीच गत दिनों करार किये बिना अन्य क्रशरों तक उपखनिज भेजे जाने का मामला सबसे गंभीर है। इसमें लाखों रुपये का उपखनिज बिना रवान्ने के अन्य क्रशरों तक भेजे जाने की पुख्ता सूचना है।
विगत 19 दिसम्बर को प्रदेश के मुख्यमंत्री धामी व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा सतपुली में जलाशय निर्माण के कार्य का शिलान्यास किया गया था। इसके बाद इस जलाशय के निर्माण कार्य ने जोर पकड़ लिया। नदी के बीचोंबीच हो रहे इस निर्माण के चलते बैराज़ की बुनियाद बनाने के फ़लस्वरूप वहां बड़ी मात्रा में आरबीएम अर्थात रिवर बेड मटेरियल भी निकल रहा है। इस आरबीएम के निस्तारण व उपयोग के लिए खनन विभाग व सिंचाई विभाग द्वारा एक फॉर्मूला निकाला गया।
जानकारी के मुताबिक अधिशासी अभियंता सिंचाई खण्ड श्रीनगर द्वारा अनुबंधित एक ठेकेदार के नाम से खनन विभाग से एक अनुज्ञा हेतु आवेदन किया गया। अनुज्ञा आवेदन के क्रम में खनन विभाग द्वारा एक फॉर्मूला बनाया गया जिसका लब्बोलुआब यह था कि जलाशय निर्माण के दौरान जितने बोल्डर की निकासी ठेकेदार द्वारा की जाएगी, उसे वह क्रशर तक भेजेगा, तथा इन बोल्डरों से तैयार स्टोन ग्रिट को वापस इस निर्माण हेतु ठेकेदार को वापस भेजा जाएगा। खनन विभाग द्वारा निर्माण स्थल की नाप कर नींव के खुदान से 12960 टन तथा अन्य से 12600 टन उपखनिज की निकासी अर्थात कुल 25560 टन उपखनिज की निकासी के अनुमान के आधार पर रॉयल्टी का निर्धारण किया गया।
लेकिन इधर समीपवर्ती एक पट्टाधारक व अन्य ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण स्थल से बेतहाशा उपखनिज का चुगान कर बिना एमएम-11 के अथवा एक ही रवान्ने पर एक से अधिक ट्रकों के जरिये क्रेशरों तक भेजा जा रहा है। इतना ही नहीं प्रारम्भ में क्षेत्र में स्थित एक क्रशर से ही इस तरह का एमओयू साइन किया गया था किंतु पुख्ता सूत्रों के मुताबिक निर्माण स्थल से एक से अधिक क्रशरों तक उपखनिज भेजा जा रहा है, हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि अब खनन विभाग क्षेत्र के अन्य क्रशरों के साथ भी ऐसा करार करने के प्रयास कर रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रदेश में इस समय अवैध खनन के जरिये बड़े पैमाने पर राजस्व को चूना लगाए जाने के मामले आम हो चुके हैं, तो कैसे एक सरसरे अनुमान के आधार पर तय रॉयल्टी वाली अस्थायी अनुज्ञा में नियमों का पालन हो रहा होगा। जिस हिसाब से निर्माण स्थल से लगातार उपखनिज लदे डंप ट्रकों का काफिला नदी से बाहर निकल रहा है, उससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस अस्थायी अनुज्ञा में रवान्ने व पोर्टल बड़ा खेल चल रहा होगा। यह भी सवाल उठता है कि क्या खनन महकमा निर्माण स्थल से निकासी हो रहे उपखनिज की प्रॉपर स्थलीय मोनिटरिंग कर रहा है अथवा नहीं..?
■अनुज्ञा विभाग के नाम क्यों नहीं..?■
हालांकि उपखनिज चुगान व उपयोग की अनुज्ञा अधिशासी अभियंता सिंचाई खण्ड श्रीनगर व अनुबंधित ठेकेदार के नाम जारी है किंतु रॉयल्टी भुगतान हेतु केवल ठेकेदार को ही उत्तरदायी बनाया गया है। पेंचीदा करार व अनुमानित मात्रा के आधार पर रॉयल्टी फिक्स करने के चलते इसमें राजस्व चोरी होने का पूरा अंदेशा है। यह भी उल्लेखनीय है कि निर्माण स्थल से हो रहे उपखनिज की निकासी जीरो रॉयल्टी के साथ हो रही है, जिसका निर्धारण तैयार माल के वापस निर्माण स्थल पर पंहुचने के बाद होगा।
●ढांचे के मीज़रमेंट के आधार पर ही रॉयल्टी होगी देय: सिंचाई विभाग●
विभाग के स्थानीय सहायक अभियंता श्री मौर्य का कहना है कि विभाग ढांचा तैयार होने के बाद इसमें प्रयुक्त उपखनिज की मात्रा का निर्धारण कर सकेगा। एमबी के आधार पर ही उपखनिज की रॉयल्टी जमा की जाएगी। वहीं खनन विभाग द्वारा तैयार किये गए अनुमानित आंकड़े को लेकर एई का कहना था कि यह खनन विभागों के अपने मानकों की बुनियाद पर बनाया गया होगा।
■अवैध निकासी पर नजर, होगी कड़ी कार्रवाई: खान अधिकारी■
प्रभारी खनन अधिकारी पौड़ी राहुल नेगी का कहना है कि निर्माण स्थल से उपखनिज की निकासी विभाग, ठेकेदार व क्रशर के मध्य हुए करार के तहत ही हो रही है। अनियमितता व राजस्व चोरी को रोकने हेतु लगातार स्थलीय निरीक्षण किया जा रहा है। यदि अवैध निकासी का मामला सामने आता है तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लायी जाएगी।