कोटद्वार: उत्तर प्रदेश भेजे जा रहे उपखनिज से उत्तराखंड को लग रहा राजस्व का चूना

पौड़ी॥
उत्तर प्रदेश से लगे गढ़वाल जनपद के कोटद्वार क्षेत्र में नदियों में जारी खनन व चुगान पट्टों से निकाल कर उत्तर प्रदेश निर्यात हो रहे उपखनिज के मामले में अनेक अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं। सूचना है कि एक ही रवान्ने पर एक से अधिक वाहन उपखनिज को राज्य से बाहर कर रहे हैं। 25 से 30 टन भार क्षमता वाले बड़े बड़े डंप ट्रकों के हर रोज भेजे जा रहे सैकड़ों टन उपखनिज के विरुद्ध उत्तराखंड को अपेक्षित राजस्व नहीं मिल पा रहा है। वहीं यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह उपखनिज ओएस परमिशन के नियमों के अनुरूप स्टॉक से निर्यात हो रहा है अथवा सीधे नदियों से उत्तर प्रदेश भेजा जा रहा है। प्रभारी जिला खनन अधिकारी का कहना है कि इस हेतु ओएस यानी अदर स्टेट परमिशन है हालांकि रवान्ने को लेकर आ रही शिकायतों पर उनके द्वारा स्थलीय जांच की बात कही गई है।
गौरतलब है कि जनपद का कोटद्वार क्षेत्र हमेशा से अवैध खनन के लिए चर्चित रहा है। यहां बहने वाली मालन व सुखरो जैसी बरसाती नदियों में हर वर्ष भूतत्व व खनिकर्म विभाग द्वारा पट्टे आवंटित किए जाते हैं। किंतु हर बार पट्टाधारकों द्वारा तमाम नियमों को ताक पर रख बेहिसाब खनन किया जाता है। क्षेत्र के कॉर्बेट व राजाजी नेशनल पार्क के बफर जोन के करीब होने के चलते यहां क्रशर नहीं हैं, जिससे खनन कारोबारी नदियों से निकले आरबीएम को चोरी चुपके उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में स्थित क्रेशरों में भेजने की कोशिश करते हैं। बीते एक दशक से लगातार यह खेल जारी है जो बदस्तूर जारी है।
उत्तराखंड शासन द्वारा जारी नियमों की बात करें तो प्रदेश की नदियों से निकले उपखनिज को राज्य से बाहर ट्रांसपोर्ट करने के लिए अदर स्टेट ट्रांसपोर्ट परमिशन लेना अनिवार्य है, किंतु उपखनिज को सीधे नदियों से बाहरी राज्य तक नहीं भेजा जा सकता,इसके लिए पहले उपखनिज को राज्य के अंदर की स्टॉक किया जाएगा तत्पश्चात खनन निदेशालय की अनुमति लेकर स्टॉक से बाहरी राज्यो को निर्यात किया जा सकेगा। हालांकि पौड़ी के प्रभारी जिला खनन अधिकारी राहुल नेगी का कहना है कि मालन व सुखरो में उत्खनन से निकल रहे आरबीएम का नियमानुसार 48 किमी की परिधि तक भंडारण किया जा रहा है। किंतु यदि कोटद्वार की बात की जाए तो इन खनन पट्टों से महज 3 या 4 किमी की दूरी पर उत्तर प्रदेश के बिजनोर जिले की सीमा प्रारम्भ हो जाती है। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि नदियों से निकाले जा रहे आरबीएम को कागजों में उल्लिखित भंडारण स्थल के बजाय सीधे उत्तर प्रदेश में स्थित क्रशरों तक भेजा जा रहा होगा।
बहरहाल खनन विभाग पौड़ी द्वारा ओएस परमिशन का हवाला देकर किसी अनियमितता से इनकार तो किया जा रहा है किंतु एक ही रवान्ने पर एक से ज्यादा फेरे लगने की शिकायतों पर प्रभारी खनन अधिकारी ने भी गौर करने की बात कही है।