मास्टर स्ट्रोक: धामी ने एक झटके में 7268 माननीयों को बनाया अपना मुरीद

अजय रावत अजेय
ग्राम व क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सभी की निगाह इस ओर थी कि नई ग्राम सरकारों के गठन के बाबत सरकार कब और क्या फैसला लेती है। किंतु धामी सरकार ने उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम-2016 और संसोधन-2020 में संभावनाएं टटोल कर पहले जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक बनाकर एक चौंकाने का फैसला ले लिया। ज़ाहिर है कि प्रदेश की तकरीबन तमाम जिला सरकारों के निवर्तमान मुखिया भाजपा से सम्बद्ध हैं, अतः इस फैसले पर विपक्षियों की टीका टिप्पणी भी लाजिमी थी। किन्तु इसके पश्चात ग्राम पंचायत प्रधानों को भी प्रशासक बनाने के धामी सरकार के फैसले से अब विपक्षियों के सुर भी नरम पड़ना तय है। बड़ी संख्या में ऐसे निवर्तमान ग्राम प्रधान भी हैं जो गैर भाजपाई पृष्टभूमि से ताल्लुक रखते हैं। हजारों की संख्या में पंचायत प्रतिनिधियों की मंशा पूरी होने के बाद अब कोई विपक्षी दल सरकार के इस फैसले की मुख़ालफ़त करने से पहले अपनी पार्टी के हितों के बाबत भी अवश्य सोचेगा।
इसमें दो राय नहीं हो सकती कि पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 25 बरस के इतिहास में बने तमाम मुख्यमंत्रियों में से सबसे बड़े डिप्लोमेटिक लीडर साबित हो रहे हैं। हालांकि स्थानीय निकायों के मोर्चे पर सरकार थोड़ा असहज नजर आ रही हो किन्तु गांवों की सरकार के निर्वाचन के बाबत आने वाले झंझावातों को धामी सरकार ने फ़िलहाल कम से कम 6 महीनों के लिए आगे धकेल दिया है। इस फैसले से न केवल सरकार को फिलहाल पंचायत चुनावों को लेकर अतिरिक्त एक्सरसाइज करनी पड़ रही है बल्कि हजारों की तादात में निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक बनाकर मुख्यमंत्री ने उन्हें संतुष्ट भी कर दिया है। हजारों की संख्या में निवर्तमान प्रधानों में अनेक गैर भाजपाई विचार धारा के भी होंगे, ऐसे में अब कोई भी राजनैतिक दल सरकार के इस फैसले का विरोध कर अपने हमदलीय निवर्तमान प्रतिनिधि की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगा।
प्रदेश भर में हरिद्वार जनपद को छोड़ 12 जिला पंचायत अध्यक्ष , 89 ब्लॉक प्रमुख व 7179 ग्राम प्रधानों को आगामी चुनाव तक प्रशासक का सम्मान देकर धामी सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। ज़ाहिर है कोई भी जनप्रतिनिधि चाहे वह किसी भी सियासी दल से जुड़ा हुआ हो, सभी एक स्वर में जिला पंचायत अध्यक्षों की भांति प्रशासक का तमगा हासिल करने की हसरत पाले हुए थे। विगत 3 दिसम्बर को इस संबंध में प्रदेश के अनेक प्रमुख व ग्राम प्रधान मुख्यमंत्री धामी से मिले थे। धामी ने उनकी मांग पर विचार हेतु अपर सचिव जुगल किशोर पन्त की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति गठित कर 9 दिसंबर तक अपनी संस्तुति देने को कहा था। आखिर 12 दिसंबर को सरकार ने हजारों की संख्या में निवर्तमान माननीयों की मुराद पूरी कर ही दी।