“घोड़े-खच्चरों पर जुर्माना, क्रशरों को माफी”, ये नहीं चलेगा: हाइकोर्ट
नैनीताल।
लगता है धामी सरकार की न्यायपालिका वाली ग्रहदशा कुछ खराब चल रही है। दिल्ली की उमस में जहां सरकार को सुप्रीम फटकार पड़ रही थी वहीं नैनीताल की ठंडी हवाओं से निकले झोंके ने भी सरकार के लिए नई मुसीबत पैदा कर दी है। हाई कोर्ट ने हाल के दिनों में प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित खनन विभाग पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए विभाग को कटघरे में खड़ा कर जुर्माना माफी सम्बंधी 2016 के बाद के सभी मामलों के दस्तावेज तलब कर दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन विभाग के मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाने के बाद अब राज्य हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार पर तल्ख टिप्प्णी कर दी है।कोर्ट ने कहा कि सरकार अगर जुर्माना माफ करने में दरिया दिल थी तो कुछ चुनिंदा और बड़े लोगो का ही जुर्माना क्यों माफ़ किया गया। घोड़े खच्चर और बुग्गी वालों का जुर्माना क्यों नहीं माफ़ किया गया। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2016-17 के बीच तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान 18 स्टोन क्रेशरों के अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाये 50 करोड़ रुपये से अधिक के जुर्माने माफ करने संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए सचिव खनन से कहा है कि 30 सितंबर तक वर्ष 2016 से अबतक राज्य में ऐसे मामलों में माफ जुर्मानों की जानकारी कोर्ट को दे।
मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने इस रिपोर्ट के साथ स्वयं न्यायालय में उपस्थित होने को कहा है। न्यायालय ने पूर्व में सेकेट्री खनन को तलब किया था लेकिन उनके अस्वस्थता के कारण छुट्टी पर होने के कारण वो नहीं आ सके और उनकी जगह एडिशनल सेकेट्री लक्ष्मण सिंह उपस्थित हुए।आज न्यायालय ने सरकार से मौखिक रूप से कहा कि राज्य की जेलों में सुविधाओ के लिए सरकार के पास बजट नहीं है लेकिन स्टोन क्रेशरों का करोड़ों का जुर्माना किस आधार पर माफ किया गया ?
सुनवाई पर याचिकाकर्ता ने कहा कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसी बिंदु पर 186 लोगों पर जुर्माना आरोपित किया गया। लेकिन डी.एम.ने 18 स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया अन्य का क्यों नही किया गया ? उनमें तो पल्लीदार, खच्चर व बैलचे वाले भी थे, जिनकी रोजीरोटी उसी से चलती थी। कहा कि उनका चालान और क्रेशरों का माफ, माफ भी 2 से 6 करोड़ का ? चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2016 -17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कई स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन और भंडारण का जुर्माना जो लगभग 50 करोड़ रुपये से अधिक था को माफ कर दिया।
आरोप लगाया गया है कि जिलाधिकारी ने उन्हीं स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया जिनपर जुर्माना करोड़ो में था, लेकिन उनका जुर्माना माफ नहीं किया जिनका जुर्माना कम था। उच्च न्यायालय की इस तल्ख टिप्पणी के बाद सरकार की खासी किरकिरी हो गई है अब इस माह की 30 तारीख को सचिव पूरे प्रदेश के खनन जुर्मानों की रिपोर्ट कोर्ट को देंगे।