केदारनाथ उपचुनाव: फरक डालने हरक उतर सकते हैं मैदान में
★हरक सिंह ने भी इशारों ही इशारों में अपने चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की★
*अनिल बहुगुणा अनिल*
उत्तराखंड की सियासत से लंबे समय से दूर रहने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेसी नेता डॉ हरक सिंह रावत को अब एक बार फिर से चुनाव लड़ने की हूक उठ गई है। तेज तर्रार राजनेता माने जाने वाले डॉ हरक सिंह रावत चुनाव लड़ने और ना लड़ने का फैसला पार्टी हाई कमान पर छोड़ रहे हैं लेकिन उनको इस बात की टीस जरूर है। कि वे पहली बार उत्तराखंड के सदन में नहीं पहुंच पाए। अपने लंबे राजनीतिक कैरियर में डॉक्टर हरक सिंह रावत ने अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय तो दिया ही लेकिन पार्टी छोड़ने तथा पार्टी तोड़ने के आरोप उन पर लगाते रहे। विधानसभा के पिछले उपचुनाव में मैंगलोर और बद्रीनाथ में उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताने में अपनी भूमिका निभाई पर कांग्रेस के छत्रप इसका श्रेय हड़पने में लगे है। प्रदेश पार्टी आलाकमान ने उन्हें जीत के श्रेय का हिस्सा भी देने को तैयार नहीं । अब केदारनाथ विधानसभा के होने वाले उप चुनाव में डॉक्टर हरक सिंह रावत के बयानों से यह लगता है कि वे इस उप चुनाव को लड़ने की इच्छा रखते हैं। रुद्रप्रयाग जनपद की इस सीट पर डॉ हरक सिंह नये नहीं है। उन्हीं के कारण उत्तरप्रदेश के समय ये जिला अस्तित्व में आया था। डॉ रावत ही प्रदेश में एक मात्र ऐसे नेता है जिनकी फैन फोलोइंग पूरे राज्य में है चाहे कुमाऊँ हो या गढ़वाल। अपनी देहरादून से केदारनाथ पद यात्रा में मीडिया से वे इस बात को कहते रहे कि पार्टी हाईकमान के निर्णय का पालन होगा।
कांग्रेस की केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा पदयात्रा में शिरकत करने पहुंचे
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा हरक सिंह रावत ने अपने एक बयान में यह जरूर कहा है कि यदि पार्टी आलाकमान उनको चुनाव लड़ने के निर्देश देती है तो वे पार्टी के आदेशों के अनुसार चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वे मैंगलोर और बद्रीनाथ उप चुनाव में पार्टी को जीतने के लिए जो कर सके वह भले ही गिलहरी की भूमिका तक ही था लेकिन परिणाम सुखद रहे। डॉ हरक सिंह रावत कांग्रेस की केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा पदयात्रा में भी शामिल हैं उन्होंने यह भी दावा किया कि केदारनाथ उप चुनाव भी कांग्रेस पार्टी जीतेगी ।राजनीतिक जानकारों का मानना है की कांग्रेस इस बार केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह रावत पर दांव खेल सकती है। जानकारों का यह भी मानना है कि यदि केदारनाथ उपचुनाव में हरक सिंह को प्रत्याशी बनाया जाता है और वे जीत हासिल करते हैं तो प्रदेश की भाजपा सरकार को संकट पैदा हो सकता है। अपनी तेज तर्रार राजनीतिक शैली से वे सदन में भाजपा के पसीने छुड़ा सकते हैं। यदि पार्टी डॉ हरक सिंह रावत पर दांव खेलती है और उसे जीत हासिल हो गई तो ये सत्ता चला रही भाजपा सरकार के लिए आने वाले समय में परेशानी का सबब हो सकता है। वैसे भी अब राज्य में लगभग ढाई साल बाद 2027 में चुनाव हो जाने है। ऐसे में यदि डॉ रावत पर पार्टी दांव खेलती है तो वे सदन में रह कर 2027 के लिए पार्टी की ज़मीन और जनता को एक बार फ़िर खड़ा कर सकते है। वैसे भी डॉ रावत का इतिहास रहा है कि वे हर बार नई सीट पर ही दांव लगाने के आदी है।अब देखना यह होगा की केदारनाथ के उपचुनाव में क्या कांग्रेस पार्टी हरक सिंह रावत पर दांव खेल सकती है या नहीं। और अगर खेलती है और परिणाम हक में आते है तो कांग्रेस 2027 के लिए अभी से चुनावी ज़मीन तैयार कर सकती है।