भाजपा प्रदेश कार्य समिति की बैठक में तीरथ की बातों से संगठन में हलचल
★तीरथ के उद्गार से टिकट के लालच में कांग्रेस से भाजपा में आये नेता परेशान★
★अपने दर्द को बयां कर गए तीरथ★
अनिल बहुगुणा अनिल
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में लगता है सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रदेश भाजपा कार्य समिति की बैठक में नेताओं के बयानों से तो ये ही लग रहा है।
भाजपा में अब उन लोगों को भी दिक्कत का सामना करना पड सकता है जिन्होंने हाल में हीे भाजपा का दामन थाम कर अपने चुनावी हित साधने की मंशा पाले हुए थे।
कार्य समिति की इस बैठक में जिस लहजे से पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद तीरथ सिंह रावत ने अपने दिल की बात बोली उससे भाजपा के पुराने नेताओं के साथ ही ताजे ताजे भाजपा की नाव में सवार हुए नेताओं को सकते में डाल दिया है। लोकसभा चुनाव में जिस बड़ी तादात में कांग्रेस से के लोगों को भाजपा में शामिल करवा गया उससे भाजपा के वे पुराने नेता खिन्न दिखे जो बुरे वक्त में भी भाजपा के लिए मेहनत करने से हिचकिचाए नहीं।
कार्यसमिति की इस बैठक में जो उदगार पूर्व मुख्यमंत्री के थे उसे देख कर तो ये हीे लग रहा था कि पार्टी में अन्य दलों से लाये जाने वाली भीड के लिए किसी की राय की जरूरत नहीं समझी गई थी। राजेंन्द्र भांडारी वाले मामले में तो बताया जाता है कि भुख्यमंत्री को भी तब जानकारी मिली थी जब राजेंद्र भंडारी को भाजपा में शामिल करने के लिए दिल्ली बुला लिया गया था।
प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री के भाषण ने अनेक ऐसे सवाल पैदा कर दिए जिसके जवाब प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों के पास नहीं है। तीरथ सिंह रावत को भाजपा में सबसे अनुसाशित कार्यकर्ता के तौर पर माना जाता है। एमएलसी से मुख्यमंत्री तक के सफर में उन्होंने भाजपा आला कमान के सभी आदेशों का पालन एक अनुशासित कार्यकर्ता के तौर पर माना था। उनकी सीट पर दूसरे को टिकट दिया जाना रहा हो या मुख्यमंत्री के पद को त्यागना हो तीरथ सिंह रावत ने कभी भी विरोध नहीं किया जिसका परिणाम रहा कि इस लोकसभा चुनाव में भी उनकी सीट पर अनिल बलूनी को टिकट दे दिया गया बाऊजूद इसके वे मन से अनिल बलूनी के चुनाव प्रचार में लगे रहे।
लेकिन इस बार कार्यसमित की बैठक में उनके दिल का दर्द जुबां पर आ हीे गया। उन्हांेने यहां तक कह दिया कि भाजपा कार्यकर्ताओं के मेहनत से बनी पार्टी है नेताओं को कार्यकर्ताओं के पीछे हीे चलना होगा। तीरथ ने बिना संकोच ये भी कह डाला कि जहां आज हम है वहां कल कार्यकर्ता बैठे होंगे और हम उनकी जगह होंगे। तीरथ यहां भी नहीं रूके उन्होने स्पष्ट कर दिया कि सूबे के मुख्यमंत्री तब विवि में पढ़़ करते थे जब वे विधान परिष्द के सदस्य थे। उन्होंने ईसारो ईसारों में यहां तक कह डाला कि मुख्यमंत्री यदि कार्यकर्ताओं के सुझावों के हिसाब से काम करते रहे तो वे पांच क्या पंद्रह साल तक भी मुख्यमंत्री रह सकते है।
अपने दिल की पूरी भडास निकालते हुए तीरथ ये भी कह गए कि भाजपा जो दो उप चुनाव हारी है उसमें प्रत्याशियों का चयन ठीक नहीं था और उन्होंने इस ओर पहले भी इशारा कर दिया था।
अमून शांत प्रवृत्ति के माने जाने वाले तीरथ सिंह रावत ने अपनी पूरी भडास अपने भाषण में निकाल दी। केदारनाथ सीट पर होने वाले उपचुनावों पर भी तीरथ ने अपनी बात रखी उनका स्पष्ट कहना था कि इस सीट पर भी उम्मीदवार थोपा नहीं जाना चाहिए। उनका इशारा बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर बनाए गये प्रत्याशियों की ओर था जिसके कारण भाजपा की पूरे देश में छीछालेदर हो गई थी और बद्रीनाथ की हार को अयोघ्या सीट से जोड कर देखा जाने लगा था।
तीरथ सिंह रावत ने अपने संबोधन के तीरों से कई निशाने साध दिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को सीधे तो नहीं लेकिन ईसारों में तीरथ रावत बहुत कुछ कह गए। गौरतलब है कि प्रदेश अध्यक्ष का वह बयान बहुत चर्चित रहा जिसमें वे कह रहे थे कि अन्य पार्टी के नेता पार्टी से इस्तीफा देकर प्रेस को बताएं कि वे भाजपा की नितियों और रीतियों विश्वास कर भाजपा में शामिल हो रहे है और उन्होंने कांग्रेस से भारी संख्या में नेता तोड कर लाने में खुद हीे अपनी पीठ भी थपथपायी थी।
तीरथ के भाषण से कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में आये अब कई नेताओं के लिए संकट पैदा हो गया है। पिछले दिनों भाजपा में शामिल हुए मनीष खडूडी, दिनेश धनै, विजय पाल सिंह सजवाण, केशर सिंह नेेगी, दिनेश अग्रवाल, शैलेन्द्र रावत, अनुकृति गुसांई, नवल किशोर के लिए भी तीरथ की इन बातों से संकट होना लाजमी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि भजपा के इस सबसे वरिष्ठ
कार्यकर्ता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे तीरथ सिंह रावत के सुझावों पर प्रदेश भाजपा संगठन कितना अमल करता है या इन सुझावों को भी हवा में उडा दिया जाता है। लेकिन कुल मिला कर पूर्व मुख्यमंत्री के इन बयानों से प्रदेश भाजपा में न हलचल हो गई है। संगठन के नेताओं के लिए तीरथ के बयान गर्म दूघ की तरह हो गए है।