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पौड़ी: डंपिंग जोन बना श्वांस रोग और पलायन का सबब

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पौड़ी॥ हिमतुंग वाणी

जिला मुख्यालय पौड़ी का एक मोहल्ला पूरी तरह से सांस की बीमारी से जूझ रहा है। अब यहाँ के वाशिन्दों ने अब अपने मकान बेच कर पलायन का मन बना लिया है। ये लोग सांस की बीमारी से इतने पीड़ित हो गये है कि जिला अस्पताल के डॉक्टर भी इनको उच्च संस्थान में जाने की राय देने लगे है। सिर्फ और सिर्फ नगरपालिका परिषद पौडी की गलतियों के कारण लगभग 2 हज़ार की जनसंख्या वाला ये वार्ड नंबर 8 गंभीर बीमारी की चपेट में आ गया है। क्या बूढ़े क्या बच्चे सब मे फेफड़ों की बीमारी घर कर गई है। श्रीनगर रोड पर बना अवैध डंपिंग ग्राउंड वार्ड आठ के लोगों लिए नासूर बन गया है। डंपिंड ग्राउंड में लगी आग से उठने वाले धुएं के कारण यहां वासियों को जीना मुहाल हो गया। इसके साथ ही लोगों में फेफड़ों से संबं​धित बीमारियां लगातार बढ़ने लगी है। ​ डंपिंग ग्राउंड के कारण लोगों को अपना आ​शियाना तक छोड़ने के लिए सोचना पड़ रहा है।
पौड़ी- श्रीनगर रोड पर वार्ड नंबर 8 में नगर पालिका ने एक ढलान वाली भूमि को डंपिंग जोन में तब्दील कर दिया है जबकि ये पूरी तरह से गैर कानूनी है। डंपिंग जोन में आए दिन आग लगाने की ​शिकायत मिलती रही है। लेकिन इसके बावजूद पालिका प्रशासन कूड़े में लगने की आग से लोगों निजात नहीं दिला पाया। लोगों का आरोप है कि कूड़े में पालिका के कर्मचारी ही आग लगाते है। वहीं पालिका की ओर से अज्ञात के ​खिलाफ आग लगाने पर पुलिस को तहरीर भी दी है। हालांकि पुलिस भी मामले में अभी तक जांच तक सीमित है। गौरतलब है कि पालिका का इन दिनों जिला प्रशासन के हवाले है। छह माह पहले पालिकाध्यक्ष का कार्याकाल पूरा होने के बाद डीएम ने प्रशासक नियुक्त किया था। लेकिन प्रशासन द्वारा भी शहरवासियों को कूड़ा डंपिंग जोन से निकलने वाले दुर्गंध से निजात दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया ना ही ट्रचिंग ग्राउंड के लिए कोई जगह चयनित करने में खासी दिलचस्पी दिखाई। वहीं पालिका में नियुक्त प्रशासक व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने पालिका के विकास कार्यों को तबज्जों देने की बजाय खुद के आशियाने को चमकाने मे जुुटी है। पालिका के लाखों के बजट के अपने बंगले में लगा दिया गया है। इन दिनों आए दिन कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में आग लगने की घटनाएं हो रही है। आग का धुआं मैसमोर इंटर कॉलेज व इससे ऊपर की आबादी के लोगों के परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां वासियों को जहरीले धुएं से बचने के लिए मुंह में कपड़ा बांधकर गुजरना पड़ रहा है। वहीं आग की लपटों के साथ उठनें वाले जहरीले धुएं से लोगों को सांस जैसी बीमारी से जूझना पड़ रहा है।

इस मामले में जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने कई बार प्रसाशक का कार्य देख रही जॉइंट मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया था लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। इस कूड़े की आग को बुझाने के लिए पुलिस के फायर टेंडरों को भी लगाया गया,पर फिर से और कूड़ा डाल दिये जाने से कूड़े की आग का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है और आसपास के लोग लगातार

सांस्कृतिक व सामाजिक सरोकारों की प्रतिनिधि पत्रिका

सांस की बीमारी से त्रस्त होते जा रहे है। स्थानीय निवासी ब्रिजेन्द सिंह रावत का कहना था कि उनके घर के बुजुर्ग इस धुंवे के कारण फेफड़ों की बीमारी से पूरी तरह से ग्रषित हो गये है अब उनको इलाज़ के लिए हर 15 दिन में श्रीनगर मेडिकल कालेज ले जाना पड़ता है।

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