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प्रदेश के लोस चुनाव में मुददों से परहेज, भाजपा को मोदी का सहारा

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सरस्वती सुमन मासिक पत्रिका का फरबरी विशेषांक: भूटान दर्शन

★कांग्रेस भाजपा का 10 साल का रिपोर्ट कार्ड बांच रही है मतदाताओं में।★
उत्तराखंड प्रदेश के लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनावों में इस बार भी राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय मुददों से भारतीय जनता पार्टी किनाराकशी किए हुए है। इस बार भी सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर जनता से वोट की उम्मीद की जा रही है। भाजपा की मुख्य प्रतिद्धंदी पार्टी कांग्रेस ही केवल प्रदेश व राष्ट्रीय मुददों को लेकर चुनावी जंग में है। प्रदेश की 5 लोकसभा चुनावों में 19 अप्रैल को मतदान होंगे। गढ़वाल लोकसभा सीट से जहां कांग्रेस के प्रत्याशी गणेश गोदियाल और भाजपा के प्रत्याशी राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी से संघर्ष करते नजर आ रहे है। वहीं, टिहरी सीट पर बेरोजगार संघ के अध्यक्ष व यूकेडी के सँयुक्त प्रत्याशी बॉबी पंवार भी इस चुनाव में चर्चा में है। हरिद्वार सीट पर भी निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार व बसपा प्रत्याशी कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों को परेशान किए हुए है। प्रदेश की पांचों सीटों पर भाजपा  केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही वोट मांगती हुई नज़र आ रही है। प्रदेश की सबसे चर्चित संसदीय सीट गढ़वाल लोकसभा सीट बन गई है। इस सीट को भाजपा बहुत सरल व आसान मान कर चल रही थी पर उनका ये अंदाज़ा गलत हो गया है। इस सीट पर कांग्रेस हाईकमान ने जनता के बीच अच्छी छवि के नेता व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर दांव खेलकर इस सीट को रोचक बना डाला है। भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी अनिल बलूनी के नामांकन के दिन स्टार प्रचारकों, सीएम, पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों का जमावड़ा लग गया था तो अगले दिन कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल के नामांकन में बिना बड़े नेताओं के ही जनसभा में हुजुम उमड़ पड़ा, जिससे अनिल बलूनी समेत भाजपा के केंद्र व प्रदेश के नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी थी। नामांकन के बाद इतने दिन गुजर जाने के बाद भाजपा को गढ़वाल संसदीय सीट की फ़तह के लिए भारी मसक्कत करनी पड़ रही है। कहाँ तो भाजपा इस सीट को इजी मान कर चल रही थी और अब उनको भी दुगनी मेहनत करनी पड़ रही है। पहाड़ी लोकसभा सीट का फ़ायदा गोदियाल के पक्ष में है क्योंकि वे यहाँ से चुनाव लड़ते रहे है और ठेठ ग्रमीणों की परेशानियों से वाबस्ता है लेकिन संगठन की कमी उनकी फ़तह में आड़े आ रही है। कांग्रेस प्रत्याशी गोदियाल पहाड़ी बोली में संबोधन करने के साथ राज्य स्तर और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपनी जनसभाओं में मतदाताओं को छू रहे है जिससे वे महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में काफ़ी हद तक क़ामयाब तो हो रहे है लेकिन उनकी बात को दूरदराज गाँवों तक पहुँचाने में पन्ना प्रमुख जैसे लोग नहीं है इस बात पर गोदियाल 19 रह जा रहे है। बताया जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी अब स्वीकार कर लिया है कि गढ़वाल संसदीय सीट पर और अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है। इसी को देखते हुए आरएसएस की एक टुकड़ी गढ़वाल में तैनात कर दी गई है। कांग्रेस प्रत्याशी गोदियाल पर देहरादून से बड़े नेता लगातार हमलावर बने हुए है, लेकिन राष्ट्रीय व स्थानीय मुददों पर चुप्पी साधे हुए है। कांग्रेस द्वारा गढ़वाल संसदीय सीट पर अंकिता भंडारी हत्याकांड, अग्निवीर,इलेक्ट्रोल बांड, ऑनलाइन जुआ खिलाने जैसे मुद्दों को लेकर भाषण दिए जा रहे है। लेकिन भाजपा का कोई भी नेता व प्रत्याशी इन मसलों पर न तो अपना पक्ष और न ही इनकी काट कर पा रहे है। गढ़वाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी भी पूरी मेहनत के साथ हर मतदाता तक पहुँचने का प्रयास कर रहे है। बलूनी को भाजपा के गांव गांव तक फैले संगठन का फ़ायदा मिलने के साथ उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे स्टार प्रचारकों का भी सहारा मिल सकेगा जो कि बलूनी को इस जंग में फ़तह दिलाने में कारगर साबित होंगे। बलूनी का मोदी और अमित शाह से निकटता और पकड़ भी इस चुनाव में उनको फायदा दिला सकती है। फ़िलहाल दोनों प्रत्याशियों ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है। अब मतदान का प्रतिशत, और 4 जून की तारीख़ ही ..हार जीत का फैसला करेगी।

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