श्रीनगर: आदमखोर गुलदार के अभी तक न मारे जाने से आक्रोश
एक ही दिन में दो मासूम बच्चों को अपना निवाला बनाने वाला गुलदार अभी तक न मारा जा सका है न ही पकड़ में आ सका है। हालांकि एक डेढ़ साल का मादा शावक डांग गांव में वन विभाग द्वारा लगाए पिंचड़े में फंसा है। एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी आदमखोर घोषित हुए गुलदार तैनात शिकारियों के निशाने पर नही आ पा रहा हैं। वन विभाग ने इस बार पेशेवर शिकारियों की जगह अपने वन विभाग के शूटर व पुलिस विभाग के कर्मियों को गुलदार मारने का जिम्मा दिया हैं। पेशेवर शिकारियों के न होने से विभागीय शिकारियों को ये आदमखोर गुलदार लगातार गच्चा देता जा रहा है। इस गुलदार का खात्मा करने के लिए जो गैर अनुभवी विभागीय शिकारी तैनात किए है उन्हें भी गुलदार द्वारा लगातार गच्चा दिया जा रहा है। हालांकि प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों का कहना है कि तैनात विभागीय शिकारी द्वारा शनिवार की रात गुलदार पर दो फायर झोंके गए थे। लेकिन न तो घायल गुलदार मिला न ही उसका शव, मगर जंगल में लहू के निशान अवश्य मिले है। डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने इस बात से सिरे मुकर गए है। उनका कहना था कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है। पेशेवर शिकारियों को न तैनात किए जाने से जहां आदमखोर गुलदार को ढेर करने में देरी हो रही है वहीं ग्रामीणों का गुस्सा उबाल पर है। वन विभाग को मानव को बजाय अपने जानवर को की ज्यादा फिक्र हो रही है। विभाग ने इस बार 2019 के नेशनल टाइगर कांजरवेशन एक्ट का सहारा लेकर शिकारी टीम में से पेशेवर व अनुभवी शूटरों को किनारे कर दिया। जबकि पहले वन विभाग द्वारा जनहित में ऐसे पेशेवर शिकारियों को विभागीय टीम में शामिल किया जाता रहा है और उनके द्वारा आदमखोर हुए गुलदारों को पहचान कर सटीक निशाना बनाया गया था। ग्रामीण व उनके बच्चें आदमखोरों के लिए गोश्त का टुकड़े बनते जा रहे हैं वन विभाग है कि, गुलदार महफूस रहे इसकी ज्यादा फिक्र की जा रही है।