हॉर्स ट्रेडिंग व भ्रष्टाचार मिटाने को महाराज का फार्मूला: प्रमुख व जिपं अध्यक्ष का सीधा चुनाव
हिम् तुंग वाणी(अजय रावत अजेय)
पंचायतों में सदस्यों की खरीद फरोख्त रोकने व इन संस्थाओं में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सूबे के पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेज कर प्रदेश की क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों व जिला पंचायतों के अध्यक्षों का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने का फार्मूला सुझाया है। महाराज के इस सुझाव को बिहार व उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों का भी समर्थ मिल गया है। यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर गंभीरता पूर्वक विचार कर इसे लागू करती है तो न केवल पंचायत चुनावों में हॉर्स ट्रेडिंग पर लगाम लगेगी बल्कि भ्रष्टाचार पर भी एक बड़ा प्रहार होगा। साथ ही लोकतंत्र की पहली सीढ़ी माने जाने वाली पंचायतों के जरिये राजनैतिक रूप से परिपक्व नेता विधान सभा व लोकसभा जैसे बड़े सदनों की दहलीज पर पंहुचेंगे।
●पंचायत चुनावों में खरीद फ़रोख्त एक बड़ी विद्रूपता●
दरअसल अभी तक कि पद्धति के मुताबिक क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों के प्रमुख व अध्यक्षों का निर्वाचन संबंधित पंचायतों के सदस्यों के वोट से होता है। इसका फायदा उठाते हुए धन व बल से सम्पन्न नेता निर्वाचित सदस्यों को खरीद कर प्रमुख व जिला पंचायत के शीर्ष पदों पर काबिज हो जाते हैं। जबकि जमीन व समाज से जुड़े नेता धन बल के अभाव में सदस्यों का वोट हासिल करने में नाकाम रहते हैं। इसके चलते दो नुकसान होते हैं, पहला यह कि जमीन से जुड़े नेता दरकिनार हो जाते हैं वहीं सदस्यों की ख़रीद फ़रोख्त में भारी भरकम पैसा खर्च कर पदासीन हुए नेता भरपाई करने को भ्रष्टाचार के तमाम रिकॉर्ड ध्वस्त करने में भी गुरेज नहीं करते।
●लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनसरोकार वाले नेता नहीं बढ़ पा रहे आगे●
दरअसल, पंचायतें ही लोकतांत्रिक सिस्टम की प्राथमिक पाठशाला हैं। ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायत जैसी संस्थाओं के शीर्ष में पंहुचे नेता ही उत्तरोत्तर आगे बढ़ते हुए विधानसभा व लोकसभा जैसे सर्वोच्च सदनों में पंहुचते हैं। पंचायती संस्थाओं का नेतृत्व कर विस् व लोस में पंहुचे नेता न केवल सियासी रूप से परिपक्व होते हैं बल्कि जनसरोकारों की गहरी समझ व तजुर्बा होने के कारण वह बेहतर तरीके से समाज के आखिरी व्यक्ति की पीड़ा को राज्य व राष्ट्र के सर्वोच्च सदन तक पंहुचा सकते हैं। किंतु वर्तमान व्यवस्था में खरीद फरोख्त से आगे बढ़ने के लूप होल का प्रयोग कर धन बल शाली नेता ही सियासत में आगे बढ़ रहे हैं। जिससे राष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी चोट पंहुच रही है।
●महाराज के प्रस्ताव पर अविलंब सकारात्मक फैसले उम्मीद●
उत्तराखंड के पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज के इस प्रस्ताव की भांति बिहार व उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से भी प्रस्ताव मिलने के बाद मोदी सरकार को मौजूदा कार्यकाल में ही पंचायतों में इस बड़े क्रांतिकारी संसोधन को मंजूरी दे दी जानी चाहिए। यदि केंद्र सरकार इस प्रस्ताव पर सकारात्मक कदम उठाती है तो मोदी सरकार के नाम पंचायती राज व्यवस्था में एक बड़े व जरूरी संसोधन जैसी उपलब्धि भी शामिल हो जाएगी।