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अंकिता केस: दोनो तरफ से दबाव की स्ट्रेटजी, सरकार व परिजन एक राह पर

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■अंकिता भंडारी के रिश्तेदार पत्रकार के ख़िलाफ़ एससी/एसटी मामले में केस दर्ज
■अंकिता की मां व पिता आये पत्रकार के पक्ष में, पत्रकार की पत्नी का तबादला रोकने की भी मांग
■एकाएक तथाकथित वीवीआईपी के नाम का जिक्र भी कर बैठे अंकिता के माता पिता

हिम् तुंग वाणी

धीरे धीरे अंकिता भंडारी हत्याकांड के जिन्न का जिक्र कम हो रहा था कि इस बीच अंकिता के केस को लड़ने में सहयोग कर रहे उसके रिश्तेदार व पत्रकार आशुतोष नेगी के खिलाफ जब एससी/एसटी एक्ट के पुराने मामले में केस दर्ज क्या हुआ मामला एकाएक फिर गर्म हो गया। अंकिता के परिजनों व पत्रकार नेगी ने इसे बदले की साजिश करार दिया तो ठीक उसी अंदाज में अंकिता के माता/पिता ने भी रिएक्शन देते हुए न केवल तथाकथित वीवीआईपी के नाम का खुलासा कर दिया बल्कि चेतावनी तक दे डाली कि यदि आशुतोष के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस न हुआ और उनकी पत्नी का पिथौरागढ़ ट्रांसफर का आदेश वापस न लिया गया तो वह आत्मदाह तक को विवश होंगी। आशुतोष पर मुकदमा दर्ज होने के बाद एकाएक जिस तरह से अंकिता के माता व पिता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक नेता का नाम तथाकथित वीवीआईपी के तौर पर लिया, उससे साफ जाहिर है कि जहां सरकार आशुतोष को अंकिता केस से अलग व्यस्त रखने का मन्तव्य रखती है वहीं आशुतोष ने भी आखिरी दांव चल दिया है। सच्चाई जो भी हो किन्तु सीधे सीधे आरएसएस के नेता का नाम अंकिता के माता पिता की जुबान पर आने के बाद विपक्षी दलों सहित अन्य सामाजिक संगठनों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। आरएसएस के नेता का नाम आने के बाद सरकार को फौरी तौर पर उलझन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

●जेसीबी ऑपरेटर के बयान के बाद यह नया मोड़
गत सप्ताह कोटद्वार में जस्टिस रीना नेगी की अदालत में बुलडोजर चालक ने बयान दर्ज कराया था कि वह उस रोज अपना काम निपटा के वापस हरिद्वार पंहुचने वाले थे कि इस बीच यमकेश्वर की विधायक रेनु बिष्ट व कोटद्वार/यमकेश्वर के तत्कालीन एसडीएम प्रमोद कुमार ने उन्हें वापस वनतारा आकर रिसोर्ट तोड़ने के आदेश दिए थे। ऑपरेटर के इस बयान के बाद सरकार कुछ असहज हुई थी किन्तु अंकिता के पिता द्वारा जिलाधिकारी गढ़वाल को लिखे पत्र में तथाकथिक रूप से एक बड़े आरएसएस नेता को वीवीआईपी बताकर मामले को गर्मा दिया है।

●सरकार के साथ आशुतोष पर भी सवाल
आशुतोष नेगी के खिलाफ एक व्यक्ति द्वारा गत वर्ष एससी/एसटी एक्ट में तहरीर दी गयी थी, जिसके क्रम में गत दिनों आशुतोष व उनके 3 साथियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मुकदमा दर्ज करने में इतना विलम्ब क्यों हुआ, क्या यह टाइमिंग नेगी को अंकिता केस में पैरवी से भटकाने के मन्तव्य से तो नहीं तय की गई। वहीं अंकिता के रिश्तेदार आशुतोष नेगी पर भी सवाल उठना लाजिमी है कि जब उन्हें वीवीआईपी के नाम के बारे में काफी हद तक जानकारी थी तो आखिर जिस सवाल को प्रदेश की अवाम डेढ़ साल से पूछ रही थी तो वह जवाब अब क्यों दिया गया। यह जगजाहिर है कि अंकिता के माता पिता द्वारा दिया गया कोई भी बयान आशुतोष नेगी की सहमति के बिना संभव नहीं है। ज़ाहिर है इतने सनसनीखेज खुलासे की जो टाइमिंग है उससे लगता है कि स्वयं पर दर्ज मुकदमे और पत्नी के तबादले को लेकर उन्होंने आखिरी दांव चला है ।

●तथाकथित वीवीआईपी वाला जिन्न निकला बाहर, गरमायेगी सियासत
प्रथम दृष्टया जिस टाइमिंग पर अंकिता के माता-पिता ने तथाकथित वीआईपी के नाम का खुलासा किया है उससे उनके बयान की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ सकते हैं। किंतु पूरा प्रदेश ही नहीं देश पिछले 16 महीनों से एक ही सवाल दोहरा रहा था आखिर वह वीआईपी कौन…., ऐसे में सीधे सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक बड़े नेता का नाम तैरने के बाद प्रदेश की सि

बयान जारी करती अंकिता की मां
अंकिता के पिता द्वारा डीएम गढ़वाल को लिखा गया पत्र
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यासत में उबाल आना तय है। कोर्ट के ट्रायल में धीरे धीरे गुम होता अंकिता हत्याकांड का जिन्न फिर पब्लिक डोमेन में आ जाये, इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता।

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