13 निजी स्कूल: सूची में ठेठ पहाड़ गायब
■ एजुकेशन सेक्टर ही पहाड़ में निवेश के लिए सबसे ज्यादा मुफीद
■ठेठ पहाड़ में दो लक्ष्य होते हासिल, विकेंद्रीकृत निवेश व स्तरीय शिक्षा
अजय रावत अजेय , हिम तुंग वाणी
सूबे में निवेश बढ़ाने के क्रम में प्री प्राइमरी से माध्यमिक शिक्षा में भी सरकार द्वारा प्राइवेट प्लेयर्स को आमंत्रित किया गया है। जिसके तहत प्रदेश में 13 नए आधुनिक स्कूल एस्टेब्लिश किये जायेंगे। इसके जरिये राज्य में 690 करोड़ का निवेश होगा तो साथ ही 2290 रोजगार भी सृजित होंगे।
निवेश के पैमाने पर यह एमओयू भले ही लक्ष्यों को हासिल करता नजर आ रहा हो किन्तु बेहतर होता इस योजना में ठेठ पहाड़ शामिल होता, क्योंकि शिक्षा क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा सेक्टर है जिसके लिए पहाड़ मुफीद है। इससे निवेश के विकेंद्रीकरण के साथ पहाड़ में आधुनिक शिक्षा के अवसर भी मिल सकते थे।
इन 13 स्कूलों के लिए जो लोकेशन सरसरी तौर पर सामने आ रही है उसमें बागेश्वर, टेहरी जिले का नरेंद्रनगर व गढ़वाल मंडल मुख्यालय पौड़ी ही ऐसे नगर हैं जहां फिलवक्त मॉडर्न निजी स्कूल का अभाव है। मसूरी, देहरादून व नैनीताल जैसे स्थानों में नए निजी स्कूल खोलने से निवेश व रोजगार सृजन का लक्ष्य तो बेशक हासिल हो जाएगा किन्तु उच्च गुणवत्ता की शिक्षा से वंचित ठेठ पहाड़ी क्षेत्र में भी ऐसी सुविधाएं देने का मन्तव्य अधूरा ही रहेगा।
सूची में तराई व मैदान के काशीपुर, रामनगर, हल्द्वानी, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि शहरों में पहले से ही निजी स्कूलों की भरमार है। इस सूची में चमोली, उत्तरकाशी, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग जैसे ठेठ पहाड़ी जनपद सिरे से गायब हैं।
यह सवाल इसलिए उल्लेखनीय हो जाता है , क्योंकि इन प्राइवेट प्लेयर्स को सरकार द्वारा ही भूमि मुहैय्या कराई जायेगी, बेहतर होता कि स्तरीय शिक्षा के अभाव के चलते पलायन से प्रभावित जनपदों को ही इस योजना में शामिल किया जाता। जिससे न केवल राज्य में निवेश का विकेंद्रीकरण भी होता और दूरस्थ पहाड़ में स्तरीय शिक्षा मिल सकती।