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अंकिता कांड: रेनु बिष्ट पर हुए खुलासे के बाद सरकार व भाजपा बैकफुट पर

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हिम् तुंग वाणी

■कोर्ट में बुलडोजर ऑपरेटर के बयान के बाद सांसत में सरकार■
■विधायक रेनु बिष्ट व तत्कालीन एसडीएम के आदेश को बताया आधार■
■तत्कालीन डीएम गढ़वाल ने किया था ऐसे किसी आदेश से साफ इनकार■
■मुख्यमंत्री ने भी इस सम्वन्ध में किये गए अपने ट्वीट को कर दिया था डिलीट■

कोटद्वार की एक कोर्ट में जारी अंकिता हत्याकांड की सुनवाई के दौरान बुलडोजर ऑपरेटर के एक बयान से न केवल यमकेश्वर से भाजपा विधायक रेनु बिष्ट और तत्कालीन एसडीएम की परेशानियां बढ़ गयी हैं बल्कि इस जघन्य कांड की ठंडी होती आंच में फिर लपटें नजर आने लगी हैं। इन लपटों की आंच सीधे सीधे भाजपा की प्रदेश सरकार तक भी पंहुचने लगी हैं। ज़ाहिर बात है कि बुलडोजर ऑपरेटर के इस बयान के बाद सरकार को पब्लिक डोमेन के साथ अदालत में भी बचाव करने के लिए मशक्कत करनी होगी।

क्या था मामला

सितम्बर 2022 में जब अंकिता भंडारी की हत्या के बाद उसका शव चीला बैराज से बरामद हुआ तो उसी रात मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के वनतारा रिसोर्ट का वह हिस्सा बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया, जहां अंकिता रहती थी। इतना ही नहीं इस ध्वस्तीकरण को स्थानीय विधायक रेनु बिष्ट ने अपराधियों के खिलाफ एक त्वरित व कड़ी कार्रवाई बताकर वाह वाही लूटने का प्रयास भी किया। पनपते जनाक्रोश को देखते हुए अतिउत्साह में सीएम कार्यालय द्वारा भी मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से उनके एकाउंट में रेसोर्ट के ध्वस्तीकरण का जिक्र भी कर दिया गया। किन्तु अगली सुबह ही सारा पासा उल्टा पड़ता नजर आने लगा। आरोप लगने लगा कि रिसोर्ट के एक हिस्से को ध्वस्त करने के पीछे फोरेंसिक एविडन्स को नष्ट करने का उद्देश्य था। आक्रोशित जनता द्वारा उसी रोज ऋषिकेश के ऐम्स के बाहर रेनु बिष्ट के वाहन के साथ तोड़ फोड़ भी की गई। वहीं मुख्यमंत्री के ट्वीटर एकाउंट से तत्सम्बन्धी ट्वीट को भी डिलीट कर दिया गया।

डीएम गढ़वाल ने किया साफ इनकार
तत्कालीन जिलाधिकारी गढ़वाल डॉ विजय कुमार जोगदंडे से इस ध्वस्तीकरण के आदेश के बाबत पूछा गया तो उन्होंने साफ इंकार करते हुए कहा कि उनके द्वारा ऐसा कोई आदेश निर्गत नहीं किया गया। हालांकि उस दौरान तथाकथित तौर पर यह कहा जा रहा था कि रिसोर्ट पर बुलडोजर चलाने का आदेश एसडीएम द्वारा दिया गया था। डीएम द्वारा साफ इनकार किये जाने के बाद विधायक रेनु बिष्ट व एसडीएम पर सवाल उठना लाजिमी था। इतना ही नहीं रिसोर्ट के अन्य हिस्से, जहां आयुर्वेदिक फार्मेसी बताई जा रही थी, उसे भी अज्ञात लोगों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया था।

क्या कहा बुलडोजर ऑपरेटर ने
ट्रायल के दौरान कोटद्वार की एक कोर्ट में बुलडोजर ऑपरेटर ने कहा कि वह अपना कार्य पूरा कर हरिद्वार पंहुचने वाला था कि इस बीच उन्हें क्षेत्र की विधायक रेनु बिष्ट व एसडीएम का फोन आया कि वनतारा रिसोर्ट पर मशीन चलानी है। विधायक व एसडीएम के आदेश का अनुपालन करते हुए वह वापस आया और रिसोर्ट के एक हिस्से को ध्वस्त किया।

ध्वस्तीकरण की घटना के बाद से क्षेत्र की भाजपा विधायक रेनु बिष्ट विपक्षी दलों के नेताओं सहित अनेक क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि के निशाने पर थीं। आरोप था कि विधायक ने रिसोर्ट में अंकिता संबन्धी साक्ष्यों को मिटाने की मंशा से बुलडोजर चलवाया। इस आरोप को तब भी ज्यादा बल मिला , जब रिसोर्ट के सिर्फ उस हिस्से को गिराया गया जहां अंकिता रहती थी। हालांकि, तफ़सीस के दौरान पुलिस ने स्पष्ट किया कि रिसोर्ट के एक हिस्से के ध्वस्तीकरण से किसी भी प्रकार का कोई फोरेंसिक सुबूत नहीं मिटा। लेकिन तमाम संगठनों सहित अनेक नेता बार बार अपना आरोप दोहरा रहे थे कि उस रात रेनु बिष्ट द्वारा रिसोर्ट में बुलडोजर चलाने के पीछे अपराधियों के प्रति गुस्सा नहीं बल्कि अपराधियों को बचाने की एक सोची समझी चाल थी।
अदालत में बुलडोजर ऑपरेटर के हालिया बयान के बाद निश्चित रूप से सरकार व भाजपा बैकफुट पर है। अंकिता को न्याय दिलाने की मुहिम में जुटे लोग पहले से ही मांग कर रहे थे कि इस मामले में यमकेश्वर की विधायक रेनु बिष्ट से भी पूछताछ की जानी चाहिए। भाजपा विधायक के बाबत कोर्ट में हुए इस खुलासे के बाद भाजपा व सरकार को भी जवाब देना होगा। यदि अदालत पुलिस को इस केस की जांच में विधायक से पूछताछ करने का आदेश देती है तो निश्चित रूप से सरकार की पेशानी

अंकिता व तीन आरोपी
रिसोर्ट में स्थित फॉर्मेसी को भी किया आग के हवाले

पर बल पड़ना तय है। बहरहाल, इस नए खुलासे के बाद लगभग ठंडी होती अंकिता हत्याकांड की आग में धुंआ उठने लगा है जो सरकार की आंखों में आंसू ला सकता है।

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