#उत्तराखण्ड

सल्यूट: 40 परिवारों के भविष्य को अंधकार से बचाने में अपना दीपोत्सव कुर्बान करने वालों को

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अजय रावत अजेय
(हिम तुंग वाणी)

■उत्तरकाशी प्रशासन व पुलिस भूली अपनी दीवाली

■एसडीआरएफ, आईटीबीपी ने निभा रही फ़र्ज़

■तमाम वेंडर कम्पनी के कर्मी, एअर्थ मूवर ऑपरेटर, ट्रक ड्राइवरों ने भी छोड़ी अपनी रंगोली

12 नवंबर की सुबह सभी दीपावली मनाने और छुट्टियां एन्जॉय करने की उमंग के साथ जागे ही थे कि तभी यमनोत्री हाईवे के सिल्क्यरा से एक मनहूस खबर आ गयी। सुरंग के क्षतिग्रस्त होने से उसके अंदर फंसे 40 श्रमिकों की जिंदगी दांव पे लग गयी। उत्तरकाशी जनपद के तमाम प्रशासनिक अमले, पुलिस के साथ स्वास्थ्य, भूविज्ञान आदि महकमों के अधिकारी व कर्मी दीपावली को भूल बचाव कार्य हेतु मौके पर रवाना हो गए। वहीं एसडीआरएफ, आईटीबीपी जवान व अधिकारी भी 40 परिवारों के भविष्य को बचाने को अपने उत्सव को कुर्बान कर मौके पर तैनात हो गए।
सरकारी अमले के अतिरिक्त इस रेस्क्यू आपरेशन में गैर सरकारी असंगठित क्षेत्र के कारिंदे भी दीपोत्सव को भूल अपनी अपनी भूमिका में जुट गए।

नेशनल हाईवे इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड से जुड़े कर्मी हों या निर्माण कंपनी से जुड़े तमाम वेंडर्स के नुमाइंदे सभी त्योहार भूल कर बचाव कार्य में अपनी भूमिका निभाने लगे। वहीं इस हेतु हरिद्वार व अन्य स्थानों से पाइप व अन्य जरूरी सामान लाने में लगे ट्रक व ट्रालों के ड्राइवर-क्लीनर ने भी इस अभियान में अपनी आहुति देने की खातिर अपनी रंगोली के रंगों को भुला दिया।
इन सब के बीच राज्य के मुख्यमंत्री धामी द्वारा भी क्षतिग्रस्त सुरंग के अंदर पंहुचकर जिस प्रकार से इस अहम ऑपरेशन में जुटे कर्मियों का उत्साह वर्धन किया गया, वह राजधर्म का एक अवयव है।

बहरहाल, अब यह सुनिश्चित हो चुका है कि सुरंग में फंसे सभी श्रमिक स्वस्थ एवं सुरक्षित है तो ऐसे में उम्मीद की जाती है कि जिस प्रकार सैकड़ों सरकारी अधिकारियों, कर्मियों के साथ निजी क्षेत्र के असंगठित कर्मियों ने 40 परिवारों की जिंदगी के दिये कि लौ को अक्षुण्ण बनाने की खातिर अपने प्रकाशोत्सव व रंगोली को बलिदान किया, उनकी यह तपस्या रंग लाएगी और 40 परिवारों में जल्द ही जमकर दीपावली मनेगी। 

 

 

 


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