August 26, 2025
#उत्तराखण्ड

केदारपुरी में लंबी लकीर खींचने जा रहे राहुल गांधी

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अजय रावत अजेय (हिम तुंग वाणी)
निःसंदेह नरेंद्र मोदी व तमाम भगवा ब्रिगेड ने बाबा केदार के धाम को हिंदुत्व का प्रतीक चिह्न बनाने के जो प्रयास किए, वह किसी हद तक कामियाब भी हुए हैं। देश की अधिसंख्य अवाम की भावनाओं को टटोलने के बाद कांग्रेस ने भी सॉफ्ट हिंदूइज्म के साथ सियासत शुरू करने की पहल की है। यही कारण है कि राहुल गांधी व प्रियंका गांधी अपने भ्रमण कार्यक्रमांे के दौरान हिदूं देवालयों के दर्शन करते हुए नजर आते हैं। किंतु इस मर्तबा राहुल गांधी की केदारधाम में तीन दिवसीय निजी यात्रा एक लंबी लकीर खींचती हुई नजर आ रही है।
केदार आपदा के बाद वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद केदारनाथ को भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया गया। इस धाम के पुनर्निर्माण व इसकी भव्यता में चार चांद लगाने के लिए सारे खजाने खोल दिए गए, हालांकि इस दौरान अनेक तरह के विवाद भी सामने आए। किंतु इन सभी सवालों को अनदेखा कर नमो व भाजपा ब्रिगेड द्वारा केदारपुरी को संवारने के अपने जुनून को और जोर दिया जाता रहा। अनेक बार स्वयं नरेंद्र मोदी केदारपुरी का भ्रमण कर चुके हैं, वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय लगातार यहां चल रहे कार्यों पर नजर भी रखे हुए है। वहीं हरीश रावत सरकार के दौरान भी केदारपुरी के पुनर्निर्माण कार्य में जबरदस्त अनियमितताओं व मनमानियों के आरोप लगते रहे।
लेकिन इस धाम को भव्य बनाने के इस कार्य के दौरान अनेक बार इस धाम की दिव्यता पर भी आंच आई, कई मर्तबा ऐसा लगा कि सनातन मान्यता के इस सर्वाेच्च धाम को एक विचारधारा द्वारा अपना बंधक बना दिया गया है। धाम में प्रधानमंत्री के दौरों के दौरान अनेक धार्मिक मान्यताओं का जाने अनजाने में उल्लंघन होता हुआ भी नजर आया। मंदिर में सोने की परत चढाने को लेकर भी विवाद उठा, वहीं गर्भगृह में फोटो व वीडियोग्राफी को लेकर भी विवाद उठे। कुछ घंटे पूर्व ही चिदानंद सरस्वती व धीरेद्र शास्त्री द्वारा गर्भग्रह में पूजा अर्चना के दौरान का एक फोटो भी वायरल हुआ।
इस बीच इधर, राहुल गांधी ने जनता की नब्ज टटोलते हुए सॉफ्ट हिंदुत्व की राह चलते हुए बाबा केदार के दर पर शरणागत होने का निर्णय लिया, किंतु राहुल गांधी ने इस दौरे को निजी रखते हुए एक नई मिशाल पेश की। राहुल के इस कार्यक्रम की सबसे अहम बात यह है कि कांग्रेस मुख्यालय तक ने इस कार्यक्रम की सूची जारी नहीं की। वहीं इस दौरे को मीडिया हाइप देने की कोशिश नहीं की गई। राहुल यह दर्शाना चाहते हैं कि वह वीआईपी नहीं बल्कि एक आम श्रद्धालु बनकर केदार बाबा के दर पर आए हैं। हालांकि राहुल के रणनीतिकार यह बात जानते हैं कि राहुल के इस दौरे की इन विशेषताओं को मेन स्ट्रीम मीडिया में न सही, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए स्पेश मिलना तय है, जो राहुल को मोदी से अगल दर्शा सकता है।

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