सिलक्यारा: अब रैट होल माइनिंग तकनीकी से होगा रेस्क्यू
अनिल बहुगुणा अनिल
●एक हफ्ते से अधिक समय लग सकता है मजदूरों को निकालने में●
*रैट होल माइनिंग के एक्सपर्टो को बुलाया गया सिलक्यारा
*अंतरराष्ट्रीय सुरंग और सुराग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स की राय सुरंग को मैन्यूली खोला जाए
उत्तरकाशी।
सिलक्यारा में बीते 15 दिनों से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने में अभी 1 हफ्ते से अधिक का समय और लग सकता है। अमेरिकन आर्गर मशीन के ब्रेकडाउन हो जाने के बाद रेस्क्यू में लगे सभी एक्सपटो के हाथ पांव फूल गए है। उधर प्लान बी वर्टिकल ड्रिलिंग के कार्य को भी हरी झंडी नहीं मिल पाई है। जिला प्रशासन और रेस्क्यू में लगे एक्सपर्टो के बीच समवंय की कमी लगातार देखी जा रही है। बीते दिनों उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ऑल वेदर रोड के तहत सिलक्यारा के पास बनाई जा रही सुरंग में दीपावली के दिन अचानक भारी मात्रा में मलबा गिर जाने से करीब 4 प्रदेशों के 41 मजदूर यहां पर फंसे हुए है। जिनको सुरक्षित निकालने के लिए कई प्रयास किए जा रहे है लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी इन मजदूरों को अभी तक सुरक्षित नहीं निकाला जा सका है। हालांकि 25 नवंबर को इन मजदूरों को निकालने की पूरी संभवानाएं जग गई थी। आनन फानन में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को भी रेस्क्यू स्थल पर बुला लिया था लेकिन अचानक अमेरिकन आर्गर मशीन के 7 मीटर पहले टूट जाने से एक बार फिर रेस्क्यू कार्य रोकना पड़ा और सभी की उम्मीदों पर जोरदार झटका लग गया। रेस्क्यू स्थल पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पर खासे नाराज हुए है। अधिकारी अभी भी मुख्यमंत्री को सही और सटीक जानकारी नहीं दे पा रहे है। उधर प्रधानमंत्री कार्यालय से भी रेस्क्यू अभियान की हर 8 घंटे में जानकारी ली जा रही है। प्लान बी वर्टिकल ड्रिलिंग को भी अभी तक हरी झंडी नहीं मिल पाई है। हालांकि वर्टिकल ड्रिलिंग की मशीनों को टनल के ऊपर 60 मीटर के बाद स्थापित करने का काम लगातार जारी है। अमेरिकन आर्गर मशीन के टनल में फंसे टुकड़ों को व्लाजमा कटर से निकालने के लिए एक्सपर्ट का इंतजार किया जा रहा है। दोपहर तक उनके सिल्क्यारा तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। प्लान सी के तहत अमेरिकन आर्गन मशीन से बनाई गई सुरंग के अंतिम 7 मीटर को मैन्यूवली खोदने के लिए रैट होल माइनिंग के एक्सपर्टो को भी बुलाया गया है जो इस 7 मीटर की बची 900 एमएम की सुरंग को आरएचएम(रैट होल माइनिंग) तकनीक से खोदने पर अपनी राय रखेगा। इसी बीच आर्गर मशीन के फेल होने के बाद अंतरराष्ट्रीय सुरंग और सुराग विशेषज्ञ अर्नाल्ड डिक्स की भी राय है कि इसको मशीनों के जरिए नहीं मैन्यूली खोला जाए। उनका तो यह भी कहना है कि सुरंग खोलने में कम से कम 20 से 25 दिन का समय लगेगा। वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना में इस बात का अंदेशा था कि ड्रिलिंग के दौरान पानी का स्त्रोत आ सकता है, जिसमें अचानक छेद होने से सुरंग में पानी भर सकता है लेकिन सतलुज जल विद्युत निगम जो कि वर्टिकल ड्रिलिंग का काम करेगा ने हाइड्रोलाजिस्ट से इसकी जांच करवा ली है। अब देखना यह होगा कि प्लान बी, सी और आरएचएम में से कौन सा प्लान कितने समय में सफल हो पाता है, उधर दावा किया जा रहा है कि 41 मजदूरों का स्वास्थ्य ठीक है और उनको सभी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है, सूत्रों का कहना है कि आर्गर मशीन के फेल होने के बाद सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में से अधिकांश अब निराश हो चले है, मनौवैज्ञानिक डॉक्टरों से उनको सलाह तो दी जा रही है लेकिन इतने लंबे समय तक एक ही स्थान पर बिना सूर्य की रोशनी से दूर रहना मजदूरों की हिम्मत पर निर्भर करता है।