#उत्तराखण्ड

इकोसिस्टम पर खनन से पड़ रहे प्रभाव के अध्ययन को विशेषज्ञ समिति गठित

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देहरादून।।
जहां एक तरफ प्रदेश का खनन महकमा इन दिनों बागेश्वर में खड़िया खनन में लगातार हो रही अनियमितताओं के बाद माननीय उच्च न्यायालय के कोप भाजन का शिकार बना हुआ है, वहीं अब एनजीटी के एक पुराने आदेश पर संज्ञान लेते हुए शासन को एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन करना पड़ा है जो विभिन्न जिओ टेक्टोनिक जोन में हो रही खनन गतिविधियों के चलते इकोसिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्धयन करेगी। यह विशेषज्ञ समिति इस क्षेत्र में भूकंपीय स्थायित्व का भी जायजा लेगी।
दरअसल गत वर्ष एनजीटी में वादी दुर्गा सिंह पंवार बनाम उत्तराखंड शासन वाले वाद में एनजीटी के फैसले पर अभी तक शासन की ओर से उदासीन रुख अख्तियार किया जा रहा था, किन्तु बागेश्वर में खड़िया खनन की अनियमितताओं के बाबत माननीय उच्च न्यायालय के लगातार सख्त होते जा रहे रवय्ये के बाद सरकार इस मसले पर हरकत में आई। शासन द्वारा गठित इस 5 सदस्यीय समिति में 4 सदस्य केंद्र सरकार के प्रतिष्ठित संस्थानों से शामिल किये गए हैं, जबकि खनन निदेशालय से संयुक्त निदेशक गढ़वाल मंडल को बतौर मेंबर सेक्रेटरी शामिल किया गया है। वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी द्वरा नामित वरिष्ठ वैज्ञानिक समिति का अध्यक्ष होगा। डिप्टी डायरेक्टर सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून, डायरेक्टर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूरकी द्वारा नामित सीनियर जियोलॉजिस्ट, डायरेक्टर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग द्वारा नामित जियोटेक्टोनिक एक्सपर्ट समिति के सदस्य होंगे। समिति 20 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

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