होमस्टे योजना में कमरों की संख्या बढ़ने से इस योजना की अवधारणा पर कुठाराघात
अजय रावत अजेय, हिमतुंग वाणी
राज्य सरकार द्वारा पर्यटन गृह आवास योजना के तहत कमरों की संख्या बढ़ाकर 12 करने से छोटे होम स्टे संचालकों में रोष है। दरअसल होम स्टे योजना के तहत पहाड़ के युवाओं को कम बजट में छोटे होमस्टे खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जाना प्रस्तावित था। इस योजना की अवधारणा के मुताबिक ग्रामीण युवा अपने पुराने मकानों को रेनोवेट कर उसे गेस्ट हाउस की तरह संचालित किया जाना था, इस हेतु वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जैसी योजनाओं से सब्सिडी व आसान प्रक्रिया के तहत ऋण भी दिया जाता है। किंतु होमस्टे योजना में कमरों की सीमा 12 तक बढ़ाये जाने से इस योजना पर भी कॉरपोरेट का कब्ज़ा होने की आशंका है। ज़ाहिर है कि बड़े व संसाधनों से लैस कारोबारियों से छोटे व लघु कारोबारियों के लिए प्रतिस्प्रधा करना सम्भव नहीं है।
पूर्व में होमस्टे योजना के तहत अधिकतम कमरों की संख्या 6 निर्धारित थी, जबकि न्यूनतम एक कमरे से भी कोई बेरोजगार अपनी आजीविका हेतु होम स्टे संचालित कर सकता था। इस योजना से बड़ी संख्या में कम आर्थिक संसाधनों के बावजूद बेरोजगारों ने बैंक से लोन लेकर अपना स्वरोजगार भी शुरू कर दिया था। अनेक युवा इसमें सफल भी हुए हैं। किंतु हाल ही में राज्य सरकार ने पर्यटन गृह आवास योजना के तहत अधिकतम कमरों की संख्या दोगुनी कर दी है।
दरअसल, 12 कमरों तक सीमा बढ़ाए जाने से छोटे होटल संचालकों की बल्ले बल्ले हो जाएगी। अब पर्यटन कारोबार में रुचि ले रहे बाहरी लोग 12 कमरों तक का होटल बनाकर उसे बतौर होमस्टे संचालित करेंगे। जिससे न केवल छोटे होमस्टे संचालकों के कारोबार प्रभावित होगा बल्कि बड़े कारोबारी होम स्टे योजना के तहत टैक्स छूट व अन्य सुविधाओं को हासिल करने के अधिकारी बन जाएंगे। इससे सरकार को भी टैक्स का नुकसान होने का अंदेशा है। कुल मिलाकर होम स्टे में कमरों की संख्या में इज़ाफ़ा किये जाने से होम स्टे योजना की अवधारणा से ही कुठाराघात हो रहा है।
पूर्व में भी देखा गया है कि होम स्टे योजना की समुचित स्क्रीनिंग न होने के चलते आर्थिक रूप से सम्पन्न अनेक प्रवासियों ने इस योजना के तहत सब्सिडी तक हासिल कर ली है। अनेक मामलों में तो यह भी देखा गया है कि भले ही होमस्टे स्थानीय बेरोजगार के नाम पर स्वीकृत हुआ है किंतु उसके हिडन पार्टनर आर्थिक रूप से सम्पन्न बाहरी अथवा प्रवासी लोग हैं। सरकार द्वारा कमरों की संख्या में इजाफे के बाद इस योजना का बेरोजगारों की पंहुच से दूर होने की आशंका सच साबित होती नजर आ रही है। वहीं बाह्य धनाढ्य लोगों के लिए इस महत्वाकांक्षी योजना के द्वार तकरीबन खुल चुके हैं।
गढ़वाल जनपद के दुगड्डा क्षेत्र में होम स्टे संचालित करने वाले अनूप व अन्य बेरोजगारों ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि वह बड़े कारोबारियों से कॉम्पिटिशन करने की स्थिति में नहीं है, यदि कमरों की सीमा को पूर्ववत न किया गया तो उनके सामने लोन की किश्त जमा करने के भी लाले पड़ जाएंगे।