भूमि बन्दोबस्त: पायलेट प्रोजक्ट के रूप में पांच गाँवों का चयन
देहरादून॥
सरकार प्रदेश में नये सिरे से भूमि बन्दोबस्त की तैयारी में है किन्तु सम्पूर्ण प्रदेश में भूमि बन्दोबस्त शुरू करने से पूर्व सरकार एक पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में पहले पांच गाँवों में बन्दोबस्ती कार्रवाई शुरू करना चाहती है।
प्रदेश के राजस्व विकास परिषद द्वारा सरकार की सहमति से इस कार्ययोजना को मूर्त रूप देने पर विचार किया जा रहा है। केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश में सरकार बन्दोबस्ती योजना को धरातल पर उतारेगी। अभी जिन पांच गाँवों में बन्दोबस्ती पायलेट प्रोजक्ट शुरू किया जायेगा, उनका चयन नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि इन पांच गाँवों मे दो पौड़ी जनपद, दो टिहरी जनपद और एक हरिद्वार जनपद के गाँव शामिल होंगे।
बताते चलें कि प्रदेश में सरकार की इस बन्दोबस्ती योजना पर यदि अमल हुआ तो तकरीबन 62 साल बाद यह भूमि बन्दोबस्त जमीन पर आयेगा। इससे पूर्व देश की आजादी के बाद अन्तिम बन्दोबस्त सन् 1960-1964 के बीच हुआ था। इन 62 सालों में सरकार के पास इस बात की जानकारी नहीं है कि कितनी कृषि भूमि का उपयोग गैर-कृषि भूमि के लिए हुआ है।
कुमाँऊ-गढ़वाल में पहला भूमि बन्दोबस्त ब्रिटिश काल के प्रारम्भ में सन् 1815 में लाया गया था। तब से लेकर अब तक उत्तराखण्ड में कुल 12 बन्दोबस्त हो चुके हैं। अन्तिम भूमि बन्दोबस्त प्रदेश में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1960-64 में लागू किया गया था। टिहरी रियासत में कुल पांच भूमि बन्दोबस्त हुए थे जिनमें पहला बन्दोबस्त 1823 में और अन्तिम पांचवा बन्दोबस्त 1924 में किया गया था।
वर्तमान सरकार जिन पांच गाँवों में भूमि बन्दोबस्त करने पर विचार कर रही है उसे सर्वे ऑफ इण्डिया के सहयोग से पूरा किया जायेगा। सर्वे ऑफ इण्डिया बन्दोबस्ती के लिए ड्रोन या एअरक्राफ्ट के माध्यम से सम्बन्धित क्षेत्र का नक्शा तैयार करेगा। नक्शे के जरिये रिकॉर्ड बनाने का कार्य राजस्व परिषद करेगा। सर्वे के बाद यह पता लगाया जायेगा कि भूमि किसके नाम है। साथ ही खुले क्षेत्र और गैर-कृषि उपयोग के क्षेत्र की जानकारी जुटायी जायेगी। इसके बाद ही रिपोर्ट तैयार की जायेगी। बताया जा रहा है कि पांच गाँवों में बन्दोबस्ती कार्रवाई के साथ ही शहरों में भी सर्वे करने की योजना बनायी गयी है और इस दिशा में प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है।