केंद्र की दखल-टीएसआर का तल्ख़ वार, चारधाम यात्रा में असहज हुई सरकार
अजय रावत अजेय
सरकार भले लाख दावे कर रही हो कि चारधाम यात्रा सुचारू व व्यवस्थित रूप से संचालित हो रही है लेकिन हक़ीकत सरकारी बयानों से इतर लगती है। कपाट खुलते ही जिस तरह से यात्रियों का सैलाब धामों की ओर बढ़ा सरकार व सिस्टम के हाथ पांव फूल गए। ऑनलाइन व ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के झोल में झूलती यात्रा से न केवल यात्रियों की फजीहत हुई, बल्कि पुलिस-प्रशासन के समक्ष भी अझेल चुनौती खड़ी हो गयी। इस बीच देवस्थानम बोर्ड लागू करने वाले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए सरकार पर ही सवाल उठा डाले, दिल्ली तक बात पंहुची कि विभिन्न प्रदेशों से यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को फ़ज़ीहत का सामना करना पर रहा है तो केंद्रीय गृह सचिव हरकत में आये और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को यात्रा के बाबत अनेक निर्देश दिए। इस सारे घटनाक्रम से इस बात की पुष्टि होती है कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा का आगाज़ सुकून भरा तो नहीं रहा। अब सरकार ज्यादा एक्शन में नजर आ रही है देखना है कि शुरआती झटकों के बाद धामी सरकार शेष अवधि में कितना स्कोर कर सकती है। मौजूदा वक्त में यह सरकार की साख का सबसे बड़ा पैमाना है…
■पहले रोज़ से ही व्यवस्थित नहीं हो पाई यात्रा■
कपाट खुलते ही समूचे भारत से श्रद्धालुओं का रेला चारधाम की ओर बढ़ने लगा। गंगोत्री व यमुनोत्री में हालात ज्यादा ही दुष्कर होने लगे। केदारनाथ की स्थिति भी कमोवेश गंगोत्री व यमुनोत्री की तरह ही नज़र आई। हालांकि बद्रीनाथ में अपेक्षाकृत हालात सामान्य रहे। अधिकांश श्रद्धालुओं का निजी वाहनों से धामों की ओर बढ़ने से संकरी सड़क वाले स्थानों पर तकरीबन ट्रैफिक अनार्की वाली स्थितियां हो गईं। यह एक तरह से सिस्टम का टोटल फेलियर ही कहा जायेगा कि हरिद्वार व ऋषिकेश स्थित बेस कैम्प्स व धामों वाले जिलों के पुलिस व प्रशासन के बीच जरूरी कोआर्डिनेशन नहीं बन पाया। यात्रा की सफलता का मानक क्वांटिटी साइज़ मानने की जिद के चलते ऐसे हालात बने। यदि धामों में स्थितियां सामान्य थीं तो क्यों ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था को अनेक बार स्थगित करने की नौबत आयी, वर्तमान में भी 31 मई तक ऑफ़लाइन रजिस्ट्रेशन को स्थगित कर दिया गया।
●आम श्रद्धालुओं की हो रही अधिक फ़ज़ीहत●
दरअसल, ऑफ़लाइन पंजीकरण के भरोसे धामों के दर्शन करने की प्रत्याशा में हरिद्वार अथवा ऋषिकेश पंहुचे बाहरी प्रदेशों के श्रद्धालुओं को अधिक फ़ज़ीहत का सामना करना पड़ा। यह श्रद्धालु अपेक्षाकृत निम्न आय वर्ग से आते हैं, जो निजी अथवा हायर्ड वाहनों से यात्रा करने की क्षमता नहीं रखते, ऐसे श्रद्धालु सार्वजनिक वाहनों के जरिये ही भगवान के धाम तक पंहुचते हैं। चर्चा है कि ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के दो हफ्ते तक स्थगित होने के बाद कतिपय
श्रद्धालु हरिद्वार से ही भगवान को नमन कर वापस लौट गए हैं। इससे श्रद्धालुओं को फ़ज़ीहत और संयुक्त रोटेशन में शामिल बस कम्पनियों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जीएमओयू के प्रवक्ता ने बाकायदा बयान जारी कर कहा है कि उनकी कम्पनी के 50 फीसद बसें खड़ी हैं और हर रोज़ 20 लाख तक का नुकसान झेलने को मजबूर है। महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उप्र व मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से आने वाले विशुद्ध भक्तों को सबसे अधिक मायूस होना पड़ रहा है। यही कारण है कि कल यूनियन कैबिनेट सेक्रेटरी ने सीएस राधा रतूड़ी को इन पांच राज्यों से कोआर्डिनेशन बनाने को कहा है।
◆मुख्यमंत्री को स्वयं उतरना पड़ा मैदान में◆
बतौर स्टार प्रचारक भाजपा के लिए वोट मांगने राज्य-राज्य जा रहे सीएम धामी को टाइट शेड्यूल के बावजूद यमुनोत्री धाम की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने की खातिर वहां जाना पड़ा। यदि सिस्टम संभावित भीड़ व इससे होने वाली दिक्कतों का अंदाजा नहीं लगा पाया तो यह एक विफलता का प्रतीक है। ज़ाहिर है प्रदेश का मुखिया होने के नाते इसकी जिम्मेदारी सीएम पर भी फिक्स होती है, यही वजह रही कि सीएम को प्रशासन को टाइट करने की खातिर स्वयम मैदान में उतरना पड़ा। लेकिन यह सब यात्रा से पूर्व हो जाना चाहिए था। जब चुनाव आयोग द्वारा चारधाम यात्रा व वनाग्नि सम्बन्धी कार्यों के परिपेक्ष्य में राज्य सरकार को विशेष रिलैक्ससेशन दे दिए गए थे व मतदान तथा कपाटोद्घाटन के दरमियान 20 दिन का समय भी था। तो सवाल उठना लाजिमी है कि इन 20 दिनों में सरकार व सिस्टम क्या करते रहे..!
●त्रिवेंद्र के बयान व केंद्रीय गृह सचिव के हस्तक्षेप के बाद पुख्ता हुए सवाल●
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए प्रशासन की तैयारियों व प्रबन्धन पर सवाल उठाए, ज़ाहिर है प्रशासन के बहाने पूर्व सीएम ने सरकार की तरफ ही तीर छोड़ा है। हालांकि उन्होंने फिर एक बार श्राइन बोर्ड गठन के अपने फैसले की पैरवी करते हुए अपना दर्द भी बयान किया। वहीं केंद्रीय गृह सचिव ने वर्चुअल माध्यम से उत्तराखंड की सीएस राधा रतूड़ी को अनेक निर्देश भी दिए। ज़ाहिर है केंद्र सरकार के पास अनेक ऐसे इनपुट हैं कि यात्रा प्रबन्धन की खामियों के चलते देश विदेश में एक नकारात्मक सन्देश जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय सचिव ने राज्य सरकार को हर हाल में यात्रा को अविलम्ब पटरी पर लाने का निर्देश दिया होगा। देखना है प्रदेश की सरकार व सिस्टम इस विश्व प्रशिद्ध यात्रा को सुचारू एवम चाक चौबंद करने कितना समय लेती है। क्योंकि बहुत जल्द बारिश भी इस यात्रा में नई चुनौती बन कर आ सकती है।