#श्रीनगर (गढ़वाल)

मिश्रित वन दावानल की घटनाओं में ला सकते हैं कमी: डॉ सीएमएस रावत

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मिश्रित वन मेडिसिनल और एनवायरनमेंट कंजर्वेशन का हब। बहुत कुछ सीख मिली

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने किया मिश्रित वन का भ्रमण।

बोले, मिश्रित वन होने से ना आग लगने का डर, ना ही चारे-पत्तें की समस्या।

जंगल में देखे कई मेडिसनल पौधे और मिली पर्यावरणीय ठंडक। कहा ’जगली जी’ से बहुत कुछ सीखने को मिला।

श्रीनगर।

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राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य डा. सीएमएस रावत ने रूद्रप्रयाग जिले के जसोली कोट मल्ला पहुंचकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् जगत सिंह चौधरी जंगली के मिश्रित वन का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान प्राचार्य ने बंजर पहाड़ को अपनी 40 वर्षो की तपस्या में औषधीय एवं पर्यावरण संतुलित रखने वाले दुलर्भ प्रजाति के पेड़ों से लकदक कर एक मिश्रित वन तैयार करने पर पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी को देश के अनमोल रत्नो मे एक रत्न बताया। मिश्रित वन में मानव के स्वास्थ्य से जुड़ी दवाईयां बनाने वाले जो औषधीय पौधे उगाये है, वह पूरे विश्व के लिए एक अचंभित और अप्रतिम केन्द्र है।
रविवार को भ्रमण कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने ग्रीन एम्बेसडर आफ उत्तराखंड एवं उत्तराखंड गौरव पर्यावरणविद् जगत सिंह चौधरी जंगली के साथ उनके मिश्रित वन पहुंचे और वन में उगाये गये थुनेर के पौधे देखे, जिससे आज पूरे विश्व में केंसर की दवा बनती है। प्राचार्य ने कहा कि सामान्यतौर पर यह थुनेर आठ हजार की फीट पर उगता है, किंतु चार हजार फिट पर थुनेर के पौधे को उगाने के लिए माइक्रो-क्लाइमेट तैयार की गई। जिससे आज थुनेर मिश्रित वन में उगाकर एक माइक्रो-क्लाइमेट की नजीर पेश की है। इसी तरह से कुटकी, तेजपात और ब्राम्ही जैसे औषधीय पौधे उगाये है। इसके साथ ही देवदार, कैल, बांज, केसर, केदार पत्ती, इलायची, काफल, भोजपत्र, भंगू और केत जैसे कई प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के पौधे भी उगाये है। जबकि यहां 15 प्रकार के बांस उगाए गए हैं. जिनमें से एक चाइना में पैदा होने वाले दुर्लभ प्रजाति के बांस को भी लगाया गया है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा कि मिश्रित वन का मॉडल बनने के कारण आज यहां शोध के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और इंग्लैंड जैसे देशों के साथ ही भारत के विभन्न प्रांतों से शोधार्थी यहां पहुंचते है, जो शोधार्थियों के शोध कार्य को गुणवत्तापरक बनायेगा, साथ ही अन्य स्थानों पर पर्यावरण क्षेत्र में मिश्रित वन का मॉडल तैयार कर सकते है। प्राचार्य ने स्वरोजगार के क्षेत्र में मत्स्य पालन करने वाले दिनेश चमोली के यहां पहुंचकर उन्हें बधाई दी। इस मौके पर पर्यटन विभाग राजकीय महाविद्यालय रूद्रप्रयाग के डॉ. विक्रम वीर भारती, डॉ. कविता रावत, पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र बद्री, बल्लभ प्रसाद जसोला, मनोज रावत, भरत चौधरी, सुभाष चन्द्र थपलियाल, मोहन प्रसाद थपलियाल आदि मौजूद थे।

जंगली ने किया प्राचार्य का सम्मान
पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी ने मिश्रित वन पहुंचने पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत का सम्मान किया। कहा कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज प्रदेश का प्रथम राजकीय मेडिकल कॉलेज है और यहां आज बड़ी संख्या में लोग अपने स्वास्थ्य का लाभ लेते है। इसके साथ ही प्राचार्य के हाथों मिश्रित वन में पौधारोपण भी कराया गया। बता दे कि पर्यावरणविद जगत सिंह चौधरी पिछले साल 15 अगस्त पर मेडिकल कॉलेज में पहुंचकर छात्रों के साथ संवाद भी कर चुके है। उन्होंने कहा कि ग्रीन कैंपस बनाने से यहां का वातावरण साफ रहेगा और बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ने व संरक्षण की सीख भी मिलेगी। हम सब की दिल से इच्छा है कि श्रीनगर मेडिकल कालेज कैम्पस के पीछे ऐसे ही मिश्रित बन तैयार हो।

पूरे जंगल जल रहे पर मिश्रित वन सुरक्षित व सदाबहार-
भ्रमण के दौरान प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा कि मिश्रित वन में आग लगने की घटनाये ना के बराबर होती है। और ग्रामीण महिलाओं के लिए चारे-पत्ते की भी समस्या भी नहीं रहती है है। ऐसे जंगल सतत हरे- भरे रहने के साथ सदाबहार रहते है। डॉ रावत ने कहा कि माइक्रोक्लाईमेट प्रक्रिया पहली बार समझ आया। इसके लिए उन्होंने जगत सिंह ’जगली’ जी का आभार प्रकट किया।

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