#मनोरंजम

फर्जी डिग्रीधारी कर्मियों पर कार्रवाई में हो रहा विलंब

Share Now

उत्तराखंड सरकार के विभिन्न महकमों में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वालों की फेहरिस्त लगातार लंबी हो रही है। कुछ एक मामलों में भले ही बर्खास्तगी की कार्रवाई अमल में लाई गई हो लेकिन अधिकांश मामलों में जांच व कार्रवाई अधर में लटके होने से अनेक फर्जी डिग्रीधारी धड़ल्ले से न केवल सरकारी नौकरी का लाभ उठा रहे हैं, बल्कि बड़े बड़े ओहदों तक भी प्रोन्नति पाने में कामिबयाब हो रहे हैं।
ताजा मामला आयुर्वेदिक विवि में तैनात एक चिकित्सक को लेकर चरचा में है। आरोपों के मुताबिक इस विवि में तैनात डा0 आरके अडाना ने एक वर्ष में ही दो उपाधियां ग्रहण की हैं, जो कि विधिसम्मत मान्य नहीं हो सकती। इस व्यक्ति द्वारा 1999 में कानपुर के साहू जी विवि से बीएएमएस की डिग्री ली गई, जबकि इसी वर्ष उनके द्वारा हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी से भी पीजी डिप्लोमा प्राप्त किया गया। इसके पश्चात इस चिकित्सक द्वारा ऋषिकुल आयुर्वेदिक विवि हरिद्वारा से आयुर्वेद में एमडी की उपाधि भी हासिल की गई। एमडी की डिग्री हेतु बीएएमएस की उपाधि के आधार पर ही प्रवेश दिया गया। ऐसे में एमडी की उपाधि भी स्वतः की अमान्य मानी जाएगी।
इन तमाम सुबूतों के बावजूद जांच रिपोर्ट के नतीजे को सार्वजनिक न किए जाने से यह चिकित्सक नौकरी में बना हुआ है। अब इंतजार है कब सचिवालय से इस मामले की जांच सार्वजनिक हो और कोई कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाए।
वहीं प्रदेश में पूर्व में भी राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित एक विभाग के सहायक अभियंता के प्रमाण पत्रो की जांच के बाद खुलासा हुआ कि यह इंजीनियर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए नौकरी पाया है, जिसे जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। वहीं पिछले दिनों सिडकुल में भी एक अधिकारी के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए,, जिसे एसआईटी की जांच के नतीजों के बाद बर्खास्त कर दिया गया। इस अधिकारी के साथ वहां तैनात दो चालकों के सर्टिफिकेट भी नकली पाए गए।
प्रदेश में हाकम सिंह प्रकरण के खुलासे के बाद सरकारी नौकरियों में हो रहे फर्जीबाड़े को लेकर चरचा गर्म है, किंतु तमाम विभागांे में यूकेपीएससी व यूकेएसएसएससी के जरिए अनेक कर्मी व अधिकारियों की डिग्रियां भी लगातार संदेह के घेरे में हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *