फलफूल रहा कॉर्बेट का रामनगर गेट, कोटद्वार में हो रही लेट पर लेट
अजय रावत अजेय
दो तिहाई से अधिक क्षेत्रफल गढ़वाल जिले में होने
के बावजूद कार्बेट नेशनल पार्क का गढ़वाल जिले को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, जबकि रामनगर गेट में पर्यटकों के बढ़ते दबाव के चलते दो नए गेट खोलने के प्रस्ताव को शीघ्र ही मंजूरी मिलने वाली है। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के तहत सीतावनी व कोटा नाम के दो नए गेट खोले जा रहे हैं, जिनसे प्रतिदिन 110 नई जिप्सियों का संचालन होगा, फलस्वरूप हर रोज 660 अतिरिक्त पर्यटक रामनगर के रास्ते कार्बेट का दीदार कर पाएंगे।
रामनगर में कार्बेट पार्क के लिए सैलानियों की बढ़ती तादात प्रदेश के लिए एक सुखद संकेत है। ऐसे में वहां नए गेट खोलने से न केवल पर्यटकों को लंबे इंतजार से निजात मिलेगी, बल्कि आर्थिकी के साथ रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
किंतु इस बीच यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि आखिर क्या कारण हैं कि कार्बेट पार्क की पर्यटन गतिविधियों को गढ़वाल क्षेत्र की तरफ विकेंद्रीकरण नहीं किया जा सका है। इस बाबत अनेक बार प्रयास भी हुए किंतु कुछ एनजीओ व पर्यटन व्यवसाय से जु़ड़ी कुछ लॉबियों द्वारा इन प्रयासों में अवरोध उत्पन्न किए जाते रहे। पूर्व सरकार में वन मंत्री रहे डा हरक सिंह रावत द्वारा जब पार्क के गढ़वाल क्षेत्र में टाइगर सफारी बनाने के प्रयास किए गए तो यह भी अंदरूनी सियासत की भेंट चढ़ गए, नतीजतन गढ़वाल क्षेत्र से कॉर्बेट पार्क की पर्यटन गतिविधियों के शुरू होने का सपना चकनाचूर हो गया। इसे विडबना ही कहा जाएगा कि जिस अभियारण्य का 65 फीसदी से अधिक हिस्सा गढ़वाल क्षेत्र में हो उससे गढ़वाल जनपद की न तो आर्थिकी को बल मिल रहा है और न ही इस क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों से कोई रोजगार सृजन हो पा रहा है।
इसके विपरीत पार्क से बाहर निकलने वाले आदमखोर प्रवृति के टाइगर लगातार कार्बेट पार्क की सीमा से सटे गढ़वाल जनपद के नैनीडांडा व रिखणीखाल विकासखंडों में ग्रामीणों को निवाला बना रह हैं।
आवश्यकता इस बात की थी कि रामनगर में कार्बेट पार्क से संबंधित सैलानियों के बढ़ते दबाव को दृष्टिगत रखते हुए सरकार को पर्यावरण व राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नियम कानूनों को मध्यनजर रखते हुए ऐसा कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए था कि पार्क के गढ़वाल क्षेत्र के कोटद्वार गेट से भी सैलानियों को कार्बेट का दीदार कराया जा सके। इस कदम से रामनगर के व्यवसाय पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ना था बल्कि कार्बेट आने वाले सैलानियों की तादात में कई गुना बृद्धि होना तय था। किंतु अंदरूनी सियासती खेल व इलाकाई संकीर्ण मानसिकता के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है।