इधर पहाड़ में गुलदार का खौफ, तो उधर हॉफ को लेकर लड़ रहे वनाधिकारी
देहरादून।।
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लोग जंगली जानवरों के शिकार हो रहे है और राज्य के वन विभाग में शीर्ष स्तर के पद पर झगड़ा ही नहीं निपट पा रहा है। नये बनाये गये हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स(होफ)पर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है और मामला न्यायालय तक पहुँच गया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि हॉफ की नियुक्ति में वरिष्ठता को पीछे रखकर एक जूनियर अधिकारी को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इस निर्णय के खिलाफ विभाग के सबसे सीनियर IFS अधिकारी बीपी गुप्ता सीधे हाईकोर्ट पहुंच गए हैं।
जानकारी के अनुसार, हाल ही में हुई डीपीसी के बाद सरकार ने 1993 बैच के आईएफएस अधिकारी रंजन कुमार मिश्र को विभाग का नया हॉफ नियुक्त किया है। जबकि विभाग में उनसे एक बैच वरिष्ठ, 1992 बैच के आईएफएस अधिकारी बीपी गुप्ता पहले से सेवा दे रहे हैं। रंजन मिश्र 1 दिसंबर को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण किया हैं। सरकार के इस फैसले को बीपी गुप्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे वरिष्ठता सिद्धांत के खिलाफ बताया है। फिलहाल वे प्रमुख वन संरक्षक (प्रशासन) की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जो सामान्य परिस्थितियों में हॉफ के अधीन माना जाता है। ऐसे में नई नियुक्ति के बाद उन्हें अपने से जूनियर अधिकारी के नीचे काम करना होगा।
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में सिविल सर्विस बोर्ड की बैठक में गुप्ता को प्रशासनिक जिम्मेदारी से हटाकर बायोडायवर्सिटी विंग संभालने पर भी चर्चा हुई थी, जिसके आदेश भी जारी हो चुके हैं।
प्रदेश में पहली बार वरिष्ठता से हटकर नियुक्ति उत्तराखंड के वन विभाग में हॉफ पद को लेकर यह दूसरी बड़ी नौकरशाही हलचल है। इससे पहले भी राजीव भरतरी को इस पद से हटाए जाने के बाद, उनके जूनियर विनोद कुमार को जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके खिलाफ भरतरी ने कोर्ट का रुख किया था। अदालत ने तब उन्हें दोबारा होफ नियुक्त करने के निर्देश दिए थे।
लेकिन वर्तमान मामला इससे अलग है, क्योंकि इस बार सीधे वरिष्ठतम अधिकारी को बाइपास करते हुए किसी जूनियर को नियमित रूप से विभाग का मुखिया बनाया गया है।




